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कवि जसवीर सिंह हालधर की ग़ज़ल..फिरकापरस्ती का सजा बाजार देखो हिन्द में..

जसवीर सिंह हलधर
देहरादून, उत्तराखंड
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ग़ज़ल (हिंदी)
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फिरकापरस्ती का सजा बाजार देखो हिन्द में।
अब खून से छपने लगे अखबार देखो हिन्द में।

कानून का लेकर बहाना कौम का रुख मोड़ने,
कुछ खाप के नेता हुए तैयार देखो हिन्द में।

जो चंद सिक्कों के लिए गिरवी रखें ईमान को,
वो मंच से करने लगे ललकार देखो हिन्द में।

वो राजनैतिक लाभ हित बहका रहे इंसान को,
सच्ची किसानी हो रही लाचार देखो हिन्द में।

वो अनपढों की भीड़ को गुमराह करते जा रहे,
कुछ जाट नेता और कुछ सरदार देखो हिन्द में।

जिस चौधरी के नाम पर वो बाप बेटे तन रहे,
वो खो चुके हैं वोट का आधार देखो हिन्द में।

कैसा तमाशा हो रहा है इस जम्हूरी राज में,
क्यों चैन से सोयी हुई सरकार देखो हिन्द में।

“हलधर” हमारी जाति ही मोहरा बनी है खेल में,
उठने लगी है जंग की यलगार देखो हिन्द में।
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सर्वाधिकार सुरक्षित
प्रकाशित…..24/02/2021
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