कवि जसवीर सिंह हलधर की एक हिंदी ग़ज़ल… पाक के पैबंद की सलवार है कश्मीर में
जसवीर सिंह हलधर
देहरादून, उत्तराखंड
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ग़ज़ल (हिंदी)
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पाक के पैबंद की सलवार है कश्मीर में।
एक नागिन कौम की गद्दार है कश्मीर में।।
हैं सभी घायल गली सड़कें मोहल्ले वादियां,
फौज भी दिखती रही लाचार है कश्मीर में।
भीड़ लाशों की खड़ी है मज़हबी जामा पहन,
मस्जिदों में मौत का व्यापार है कश्मीर में।
भाग आये कुछ अभागे छोड़ अपने देश को,
आदमीयत की झुकी दस्तार है कश्मीर में।
सोचते हैं आइने ने शक्ल पहचानी नहीं,
बिम्ब सबका दिख रहा बीमार है कश्मीर में।
छत हुई बोझिल बहुत अब लग रहा है घर गिरा,
नीव से हटने लगी दीवार है कश्मीर में।
मौत सिमटी घाटियों में रो रहीं सारी नदीं,
झील में अब नाव बिन पतवार है कश्मीर में।
आप जिसको कह रहे हो वो हमारा खास है,
वो पड़ौसी मुल्क का गद्दार है कश्मीर में।
मुक्तिका “हलधर ” लिखी ये क्रोध या प्रतिशोध में,
बात करना प्यार की बेकार है कश्मीर में।।