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वरिष्ठ कवि जय कुमार भारद्वाज का एक सुंदर गीत…

जय कुमार भारद्वाज
देहरादून, उत्तराखंड
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पेड़
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जीवन जग को देता पेड़।
जग से है क्या लेता पेड़?

शीतल सुखद सुहानी छाया
उसने धरती पर बिखरायी
थके हुए राही की मंज़िल
है जिसने आसान बनायी
सबका सच्चा साथी पेड़ ।
जग से है क्या लेता पेड़?

हम फल फूल उसी से पाते
जड़ी बूटियाँ उसकी खाते
इतना सब कुछ देता फिरभी
रहता हर दम हँसते गाते
पक्षी का घर होता पेड़।
जग से है क्या लेता पेड़?

वह धरती का रूप सजाता
मुस्कानों के फूल खिलता
धूप की चादर ओढ़ी फिर भी
शीतल मन्द समीर बहाता
जन मन को हर्षाता पेड़
जग से है क्या लेता पेड़?

बादल से लाता है पानी
धरती को करता है धानी
पास नहीं रखता कुछ अपने
वीर करण से देखो दानी
पर हित जीवन जीता पेड़।।
जग से है क्या लेता पेड़?

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