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बंगाल में जय श्री राम, शाह बिगाड़ेंगे दीदी का काम

-पश्चिम बंगाल में आजादी के बाद से सनातन धर्म का विचार हाशिए पर रहा। कांग्रेस के बाद कम्युनिस्टों ने इस विचार पर बड़ा आघात किया। ममता बनर्जी से जनता को सनातन विचार को सम्मान मिलने की उम्मीद थी। लेकिन, ममता इस पर खरी नहीं उतरी। यही कारण है कि अब बंगाली भाजपा के भगवा रथ सवार होने को लालयित हैं।

वीरेन्द्र डंगवाल “पार्थ”
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भगवा रथ पर सवार भाजपा के चाणक्य अमित शाह ने बंगाल विजय का बिगुल फूंक दिया है। बंगाल में जय श्री राम, जय जय श्री राम के नारे गूंज रहे हैं। जय श्री राम के नारे जहां भाजपा कार्यकर्ताओं में जोश भर रहे हैं। वहीं, बंगाली दीदी (ममता बनर्जी) के लिए यह खतरे की घंटी है। अमित शाह की शनिवार की रैली में उमड़ी भीड़ तृणमूल कांग्रेस को यह सोचने पर मजबूर कर रही है कि बंगाल में जय श्री राम का यह घोष कहीं दीदी को राजनीतिक सन्यास की ओर न ले जाय…


अमित शाह का पहले दिन का बंगाल दौरा भाजपा के लिए उत्साहित करने वाला रहा। तृणमूल कांग्रेस, कांग्रेस व कम्युनिस्ट पार्टी के नेता अमित शाह की मौजूदगी में भाजपा में शामिल हुए। तृणमूल के एक मंत्री, एक सांसद, एक पूर्व सांसद, एक पूर्व मंत्री, 9 विधायक, 15 काउंसलर सहित कई अन्य कई बड़े नेताओं ने भाजपा के झंडे थाम लिए। अमित शाह ने मंच से घोषणा कर दी कि आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा बंगाल में 200 से ज्यादा सीटें जीतेगी। शाह ने मंच से जय श्री राम और वन्दे मातरम के नारे भी लगवाए। इन नारों के माध्यम से शाह जनता को यह संदेश देना चाहते हैं कि बंगाल में अब सनातन धर्म को महत्व मिलने वाला है, जिसे आजादी के बाद कांग्रेस, कम्युनिस्ट और तृणमूल कांग्रेस की सरकारों में हाशिए पर रख दिया था। जनता तक यह संदेश पहुंच गया, यह मिदनापुर में लहराते भगवा झंडों ने उजागर भी कर दिया। अमित शाह की शनिवार की रैली भी संकेत दे रही है कि बंगाल में भाजपा शुभ की ओर है।

धर्म और महापुरुषों के जरिए बढ़ेगी भाजपा

अमित शाह ने पहले दिन महामाया मंदिर में पूजा की, विवेकानंद के पैतृक आवास गए, विवेकानंद व रामकृष्ण परमहंस को श्रद्धांजलि दी। स्वतंत्रता सेनानी खुदीराम बोस के घर गये। यह संकेत है कि आगामी विधानसभा चुनाव में धर्म के साथ ही बंगालियों के आदर्श महापुरुषों को भी भाजपा भुनाएगी।

बोलपुर जय श्री राम बोलेगा??

भाजपा के चुनावी अभियान के लिहाज से बोलपुर काफी अहम है। बोलपुर संसदीय क्षेत्र कम्युनिस्ट पार्टी का अभेद किला था। 1971 से 2014 तक यहां कम्युनिस्ट पार्टी का राज रहा। चार बार सरादिश रॉय और सात बार दिग्गज नेता सोमनाथ चटर्जी ने यहां से चुनाव जीता। 2014 में तृणमूल कांग्रेस ने यह किला फतह किया। दो बार से इस सीट पर उसी का कब्जा है। अब भाजपा यहां सेंध लगाने की तैयारी कर रही है।

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