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हरीश कंडवाल मनखी की कलम से… आर्थिक संकट के साथ जीवन व पढ़ाई के लिए जूझती साक्षी

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा सार्थक करने का अवसर

सुबह का समय है, साक्षी उठती है, हाथ मुँह धोकर सबसे पहले एक डिब्बा पानी का उठाकर गाँव के पानी के स्त्रोत पानी खोली से पानी भरकर लाती है। घर आकर काली चाय बनाती है। अपने पिताजी जो पैरालाइज है, उनको चारपाई में चाय दे देती है, जब चीनी और चाय पत्ती घर मे रहती है, तब ही चाय बन पाती है।यदि नही है तो रोटी के लिये आटा गोंद देती है, फिर अप ने लिए पिता और भाई के लिये रोटी-सब्जी बनाकर सबको खिलाकर स्कूल जाती है। शाम को भी यही होता है।

मैं जब कल 5 साल बाद ननिहाल गया तो अपने सामने साक्षी को अपने पिताजी को हाथ से चाय पिलाना, शर्ट पहनाना, उनकी देख रेख करना देखा। उसे देखकर एक बेटी अपने परिवार को किस सलीखे से सम्भालती है, कैसे वह सब जिम्मेदारी चुपके से निभाने लगती है, पता नही चलता है। साक्षी अमोली जिस तरह से अपने भाई और पिता के लिये यह लक्ष्मी, सरस्वती और दुर्गा बनकर पूरे परिवार को संभाल रहीं है, ऐसी बेटी के जज्बे को सलाम।

साक्षी के पिता चन्द्र प्रकाश अमोली की पहली शादी हुई, उससे दो बेटी हुई जिनकी शादी हो चुकी है। पहली पत्नी की कम उम्र में ही देहांत हो गया। दूसरी शादी की, वह भी दो बच्चो को जन्म देकर दुनिया से चल बसी। उसके बाद चन्द्र प्रकाश अमोली दोनों हाथ से पैरालाइज हो गए, अब वह कोई भी शारीरिक काम नही कर सकते, आर्थिक संकट से जूझने वाले इस परिवार के लिए हर दिन दो जून की रोटी का जुगत करना मुश्किल भरा होता है।

सरकार के द्वारा जितना सुंदर नारा यह दिया है कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ। वाकई बेटी को बचाना भी जरूरी है और उसके साथ उसको पढ़ाना भी उतना जरूरी है। कक्षा 9 की साक्षी अमोली उच्चतर माध्यमिक विद्यालय अमोला यमकेश्वर की छात्रा है। इस बेटी के पास जँहा पूरे घर को संभालने की जिम्मेदारी है, वह उसको बखूबी निभा रही है। वहीं, स्कूल के बस्ते को कंधे पर रखकर विद्यार्जन भी कर रही है। इस बिटिया के पास कभी स्कूल की फीस चुकानी मुश्किल हो जाती है, कभी इसके लिये कॉपी-किताब की व्यवस्था करना मुश्किल हो जाता है। घर मे कोई आकर हाथ मे दो-चार सौ रुपये मदद के लिये रख देता है तो वह उससे फीस शुल्क चुका देती है।

अब साक्षी अमोली की आगे की पढ़ाई की जिम्मेदारी सुशिक्षित समाज की है। ताकि, यह बेटी पढ़ सके और आगे बढ़ सके। आगे इसी तरह की समस्या उसके भाई सुमित के सामने आने वाली है। क्योकि, अभी वह 7वी कक्षा में है सरकार निःशुल्क शिक्षा और पुस्तक दे रही है। लेकिन, 9वी कक्षा में जैसे ही जायेगा उसके सामने भी यही समस्या आएगी।

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