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कब महकने लगी पांखुरी प्रेम की, कब से मन मेरा , तेरा ठिकाना हुआ

राजेश कुमार
कोलकाता, पश्चिम बंगाल
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दरमियाँ
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तेरा आना हुआ,
तेरा जाना हुआ,
जानेजाना, दरमियां में
जमाना हुआ,

 

कब महकने लगी
पांखुरी प्रेम की,
कब से मन मेरा,
तेरा ठिकाना हुआ

दिल की बातें,
अधर पर थिरकने लगी,
गूँज तनहाईयों की
समेटने लगी,

तुमने हमको कहा,
हम तुम्हारे सनम,
प्यार की उष्णता,
फिर दहकने लगी

स्वांस तेरी हूई
स्वांस मेरी हुई,
कतरा कतरा पिघलता
सितारा हुआ,

जानेजां, दरमियां मे
जमाना हुआ,
तेरा आना हुआ
तेरा जाना हुआ

बूंद कब ऐसे बिखरी
समन्दर हुई,
अल्पना प्यार की
कब स्वयंवर हुई,

कब सहज आगमन सा
निमन्त्रण मिला,
पीर कब बस गयी,
कब प्रियंवर हुई

कब मेरा मन
कलन्दर बयाना हुआ
जानेजाना, दरमियां मे
जमाना हुआ,

तेरा आना हुआ..
तेरा जाना हुआ..

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