Fri. Nov 22nd, 2024

कवि जसवीर सिंह हलधर की शानदार गज़ल.. समंदर दर्द अपना हर किसी से कह नहीं सकता..

जसवीर सिंह हलधर
देहरादून, उत्तराखंड
————————————–

ग़ज़ल ( हिंदी)
—————–

समंदर दर्द अपना हर किसी से कह नहीं सकता।
करोड़ों मील में फैला मगर वो बह नहीं सकता।

तमन्ना यह लिए वो जा बसा मज़लूम आंखों में,
सिमटकर बूँद होने की सजा भी सह नहीं सकता।

बड़ा आकर में लेकिन नहीं अहसास यह उसको,
फसे जलयान को तूफान में वो गह नहीं सकता।

ज़रूरत हो भले कितनी भी जल की रेगजरों में,
हिमालय की मदद के बिन वहां भी ढह नहीं सकता।

पहाड़ों से चलीं नदियां उसे ढाढस बँधाने को,
रहेंगी साथ उसके वो अकेला रह नहीं सकता।

किसी दिन ए समंदर झांक ले “हलधर” दरीचे में,
हुए जज़्बात जम पत्थर उन्हें भी तह नहीं सकता।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *