गढ़वाल में महाराजा कनक पाल ने देवलगढ़ से शुरू की थी शस्त्र पूजा, आज राजपुर रोड में हुआ शस्त्र पूजन
-टिहरी राजपरिवार के वंशज भवानी प्रताप सिंह ने विजयादशमी (दशहरा) पर विधि-विधान से की शस्त्र पूजा, राजपुर रोड स्थित वर्तमान टिहरी दरबार हाउस में हुआ पूजा का आयोजन
देहरादून (dehradun)। पुराना दरबार ट्रस्ट (purana darbar trust) की ओर से विजयादशमी (दशहरा) का पावन पारम्परिक पर्व विधि-विधान से मनाया गया। टिहरी राज परिवार (tehri royal family) के वंशज ठाकुर भवानी प्रताप सिंह (thakur bhawani Pratap Singh) ने पावन अवसर पर शस्त्र की। शस्त्र पूजन (shastra pujan) की प्राचीन परंपरा को पारंपरिक रीति रिवाजों के अनुसार सपन्न किया गया।
टिहरी दरबार हाउस राजपुर रोड (rajpur road) में आयोजित शस्त्र पूजन समारोह में राज परिवार के वंशज व टिहरी दरबार के मुख्य संरक्षक ठाकुर भवानी प्रताप सिंह ने बताया कि गढ़वाल रियासत में शस्त्र पूजन की पवांर वंश ने की। महाराजा कनकपाल (king Kamal pal) ने दशहरे के दिन शस्त्र पूजन का विधान चांदपुर गढ़ी (chandpur garhi) से शुरू किया था। उसके बाद शस्त्र पूजन की यह परंपरा देवलगढ़ से होते हुए श्रीनगर ओर टिहरी में धूमधाम से मनाई जाती रही। शस्त्र पूजन के अवसर पर राजपरिवार के सदस्यों में ठाकुर भवानी प्रताप, ठाकुर सिंह, कीर्ति प्रताप सिंह, डॉ योगंबर सिंह बर्थवाल, मोहन सिंह नेगी, हरीश डिमरी, डॉ अर्चना डिमरी, कुसुम रावत, बद्री प्रसाद उनियाल, सागर जी महाराज आदि मौजूद रहे।
राजगुरु आचार्य कृष्णानंद नौटियाल ने कराया शस्त्र पूजन
रविवार (आज) को विजयादशमी पर शस्त्र पूजन राजगुरु आचार्य कृष्णानंद नौटियाल ने किया। पूजन के लिए शैलेश नौटियाल केदारनाथ के प्रसाद स्वरूप ब्रह्मकमल और हरीश डिमरी भगवान श्री बद्री विशाल जी के प्रसाद रूप में तुलसी माला लाए। बलि विधान का निर्वाह कर्नल आलोक रावत ने किया।
रियासत में दशहरे के दिन राजकोष की होती थी घोषणा
रियासत काल में दशहरे के दिन राजकोष की भी घोषणा की जाती थी। राज दरबार में विभिन्न क्षेत्रों के जागीदार व थोकदार शस्त्र पूजन में शामिल होते थे। उनकी ओर से दरबार में कुल देवी राजरशेश्वरी की पूजा के साथ भेंट चढ़ाने की प्रक्रिया संपन्न होती थी। साथ ही कुल देवताओं व वीर पुरुषों का भी पूजन व स्मरण किया जाता था।