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सीआईएमएस एंड यूआईएचएमटी ग्रुप ऑफ कॉलेज के अध्यक्ष ललित मोहन जोशी को मिला उत्तराखंड गौरव सम्मान

जोशी 15 से अधिक वर्षों से नशे के खिलाफ जागरूकता अभियान चला रहे हैं। साथ ही प्रत्येक वर्ष अपने संस्थान में प्रदेश के 300 आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को नि:शुल्क उच्च शिक्षा दे रहे हैं।

देहरादून। सीआईएमएस एंड यूआईएचएमटी ग्रुप ऑफ कॉलेज देहरादून के चेयरमैन एडवोकेट ललित मोहन जोशी को उत्तराखंड गौरव सम्मान 2024 से सम्मानित किया गया। उत्तरजन टुडे सेंचुरियन क्लब की ओर से देहरादून में आयोजित कार्यक्रम में उन्हें गत 15 से अधिक वर्षों से नशे के खिलाफ किए जा रहे कार्यों व प्रत्येक वर्ष अपने संस्थान में प्रदेश के 300 आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को नि:शुल्क उच्च शिक्षा प्रदान करने के लिए दिया गया।

कार्यक्रम में शिक्षा, स्वास्थ्य, जनसेवा, लोक संस्कृति, आरटीआई, पलायन, पत्रकारिता, महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले राज्य के 25 व्यक्तियों को सम्मानित किया गया। सम्मान समारोह में बतौर मुख्य अतिथि दून विश्वविद्यालय कि कुलपति प्रो. सुरेखा डंगवाल, कार्यक्रम अध्यक्ष पूर्व प्रमुख सचिव आईएएस एसएस पांगती, विशिष्ट अतिथि पिटकुल के एमडी पीसी ध्यानी, अपर आयुक्त खाद्य व ड्रग कंट्रोलर ताजबर सिंह जग्गी, पदम श्री माधुरी बड़थ्वाल, डॉ. एसडी जोशी व हर्षमणि व्यास उपस्थित रहे।

आपको बता दें कि सीआईएमएस एंड यूआईएचएमटी ग्रुप ऑफ कॉलेज देहरादून के चेयरमैन एडवोकेट ललित मोहन जोशी सजग इंडिया के माध्यम से विगत 15 से अधिक वर्षों से नशा उन्मूलन को लेकर प्रयासरत हैं, 2005 में हल्द्वानी से उन्होंने इस अभियान शुरूआत की थी। अब तक लाखों युवाओं को नशे के खिलाफ जागरूक कर चुके हैं। युवा संवाद कार्यक्रम के जरिए वह 1500 से अधिक स्कूलों में 7.50 लाख से अधिक छात्र-छात्राओं से सीधा संवाद कर चुके हैं।

एडवोकेट ललित मोहन जोशी द्वारा उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सुपर 300 मिशन एजुकेशन स्कीम चलाई जा रही है, जिसमें प्रदेश के आर्थिक रूप से कमजोर किसी भी वर्ग के योग्य 300 छात्र-छात्राओं को नि:शुल्क उच्च शिक्षा, व्यावसायिक शिक्षा, चिकित्सा शिक्षा प्रदान की जा रही है। उन्होंने केदारनाथ आपदा प्रभावित बच्चों को निःशुल्क उच्च शिक्षा प्रदान करने का बीड़ा भी उठाया है। ललित जोशी का मानना है कि उनका लक्ष्य प्रदेश के अंतिम छोर से आने वाले छात्र को उच्च शिक्षा/व्यावसायिक शिक्षा दिलाना है, जिससे कि वह अपने पैरों पर खड़ा होकर राष्ट्र निर्माण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएं।

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