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लीविंग इंपैक्ट की ऑनलाइन काव्य गोष्ठी ने श्रोताओं को किया सराबोर

-लीविंग इंपैक्ट के तत्वाधान में डॉ अजय सेमल्टी की पहल से गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर आयोजित की गई ऑनलाइन कवि गोष्ठी ‘मुक्तक’

शब्द रथ न्यूज। लीविंग इंपैक्ट (leaving empact) के तत्वाधान में डॉ अजय सेमल्टी (Dr Ajay semalty) की पहल से गणतंत्र दिवस कि पूर्व संध्या पर ऑनलाइन कवि गोष्ठी ‘मुक्तक’ (online kavya goshthi) का आयोजन किया गया। कवि गोष्ठी में जानी मानी हस्तियों वीरेन्द्र पंवार, वीरेन्द्र डंगवाल “पार्थ”, डॉ कविता भट्ट ‘शैलपुत्री’ के साथ डॉ अजय सेमल्टी ने काव्य पाठ किया। गोष्ठी की अध्यक्षता वीरेन्द्र डंगवाल “पार्थ” और संचालन सुमित रिंगवाल ने किया। जबकि, लोकेश अधिकारी ने यूट्यूब लाईव स्ट्रीमिंग का कार्यभार कुशलता से संभाला।
डॉ अजय सेमल्टी ने युवा वर्ग में साहित्य के प्रति अनुराग को जगाने की जरूरत पर बल देते आशा व्यक्त की कि यह कवि गोष्ठी इस परिप्रेक्ष्य में साहित्यिक यज्ञ की आरूणी का कार्य करेगी।

गोष्ठी का शुभारंभ राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त श्रीनगर की कवियत्री डॉ कविता भट्ट ने सुमधुर आवाज में गीतिकाओं व मुक्तकों से किया। उन्होंने मुक्तक के माध्यम से सैनिकों की कर्तव्यनिष्ठा को सलाम करते हुए देश के गद्दारों पर प्रहार किया। उनकी कविता ‘अभी तो बस घर से चली हूं मैं,, ‘मधुमास तुम आते रहो’ और ‘आज कल’ विशेष रूप से सराही गई।

डॉ अजय सेमल्टी ने विचार रूप वाले व्यक्तित्व सुभाष चन्द्र बोस, भगत सिंह व अटल जी को याद करते हुए देशभक्ति को गणतंत्र व स्वंतत्रता दिवस तक सीमित न रखने की बात कहते हुए अपनी कविता ‘क्या मिलेगा कभी एक दिन आज़ादी का’ प्रस्तुत की। पहाड़ की पीड़ा और पर्यावरण सरंक्षण की जरूरत को व्यक्त करती उनकी कविता ‘शंकर माथा पकड़े बैठे भागीरथ भी प्यासा है’ विशेष सराही गई। इसके अतिरिक्त उनकी रचना ‘लगन’, ‘जमाने लगेंगे’ और ‘रुसवा करो ना हमको’ भी प्रभाव छोड़ गई।

गढ़वाली के प्रसिद्ध कवि वीरेन्द्र पंवार की सुप्रसिद्ध रचना मिन भी लाईव औण” फिर से छाप छोड़ गई। इसके अतिरिक्त ‘ये मुल्क का हाल चाल’, ‘तू तचौ ढोल फिर’, ‘ज़िंदगी मैं थैं कथगा रंग दीगी तू’ भी रंग जमा गई।

युवा कवि व मंच संचालक सुमित रिंग्वाल की रचना कभी गुजरो इधर से तो मुलाकात करो’ भी पसंद की गई।

अंत में कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वीरेन्द्र डंगवाल “पार्थ” ने दोहों से अपना काव्य पाठ शुरू किया। देश की एकता की बात करते उन्होंने ‘सबके दिलों पे हिंदुस्तान लिख दीजिए’ व ‘गाइए तिरंगे वाला गान आज शान से’ आदि छंद पढ़े। उसके बाद अपनी सुरीली आवाज़ से सुंदर माहिया प्रस्तुत किए। उनकी गज़ल ‘तेरी यादों का समंदर विशाल होता है’ विशेष रूप से पसंद की गई।

गोष्ठी की रिकार्डिंग यूट्यूब पर मौजूद

डॉ अजय ने सेमल्टी ने बताया कि सैकड़ों लोगों ने कवि गोष्ठी का ऑनलाइन आनंद लिया। कवि गोष्ठी की रिकॉर्डिंग यूट्यूब (https://cutt.ly/OKlive) पर उपलब्ध है। दो कवि खेमकरण सोमन और नीरज नैथानी तकनीकी कारणों से जुड़ नहीं पाए। लेकिन, उन्होंने अपनी शुभकामनाएं प्रेषित की।

युवाओं को साहित्य से जोड़ेंगे इस तरह के आयोजन

काव्य गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए वीरेन्द्र डंगवाल “पार्थ” ने डॉ सेमल्टी के प्रयास की सराहना करते हुए आशा व्यक्त की कि ऐसे आयोजन भविष्य में युवाओं को साहित्य से जोड़ने में मील का पत्थर साबित होंगे। इस तरह के कार्यक्रम निरंतर होते रहने चाहिए।

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