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मां लक्ष्मी जी की आरती में नहीं बजाते शंख और घंटी, पढ़ें मां लक्ष्मी जी की आरती

पांच दिन का दीपावली का त्योहार धनतेरस से शुरू हो जाता है। कल नरक चतुर्दशी के दिन दीपदान किए जाते हैं। इसके बाद अगले दिन दीपावली का त्योहार मनाया जाता है। दीपावली पर शाम को मां लक्ष्मी का पूजन कर उनकी आरती उतारी जाती है। उसके अगले दिन गोवर्धन पूजा की जाती है। इसके बाद भाई दूज का त्योहार आता है। मां लक्ष्मी जी की आरती में शंख और घंटी नहीं बजाई जाती है। लक्ष्मी जी की पूजा में दक्षिणावर्ती शंख में जल भरकर पूजा के बाद पूरे घर में छिड़काव किया जाता है। इस दिन हाथी पर सवार मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना की जाती है।

मां लक्ष्मी जी की आरती

ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता

तुमको निशदिन सेवत, मैया जी को निशदिन सेवत हरि विष्णु विधाता

ॐ जय लक्ष्मी माता-2

उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता, सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता

ॐ जय लक्ष्मी माता-2

दुर्गा रूप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता, जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता

ॐ जय लक्ष्मी माता-2

तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता, कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता

ॐ जय लक्ष्मी माता-2

जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता, सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता

ॐ जय लक्ष्मी माता-2

तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता, खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता

ॐ जय लक्ष्मी माता-2

शुभ-गुण मन्दिर सुन्दर, क्षीरोदधि-जाता, रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता

ॐ जय लक्ष्मी माता-2

महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई नर गाता, उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता

ॐ जय लक्ष्मी माता-2

ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता

तुमको निशदिन सेवत, मैया जी को निशदिन सेवत.. हरि विष्णु विधाता

ॐ जय लक्ष्मी माता।

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