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अनुसूचित जाति की भोजनमाता का बनाया खाना खाने से किया मना, स्कूल ने काटी टीसी

-अनुसूचित जाति की भोजनमाता के हाथों का बनाया खाना खाने से मना करने के बाद प्रधानाचार्य और कुछ शिक्षकों ने बच्चों को समझाने का प्रयास किया। लेकिन, खाना खाने से मना कर दिया। नाम काटने की धमकी देते हुए कुछ बच्चों की टीसी भी काटी गई।

जीआईसी सूखीढांग में मध्यान्ह भोजन योजना पर (एमडीएम) फिर विवाद हो गया है। 6ठीं से 8आठवीं कक्षा के सात से दस बच्चे अनुसूचित जाति की भोजनमाता का बनाया खाना नहीं खा रहे हैं। आरोप है कि सवर्ण जाति के ये बच्चे जातिगत कारणों से भोजन का बहिष्कार कर रहे हैं।

आरोप है कि स्कूल प्रशासन ने चेतावनी देते हुए कुछ बच्चों की टीसी (स्थानांतरण प्रमाणपत्र) भी काटी। मामले को सुलझाने के लिए प्रधानाचार्य प्रेम सिंह ने गुरुवार को अभिभावकों की बैठक बुलाई। लेकिन, इसमें कोई नतीजा नहीं निकला। जीआईसी में इस सप्ताह के पहले चार दिनों में सात से दस सवर्ण बच्चों ने भोजन करने से इन्कार कर दिया।

जानकारी मिलने पर प्रधानाचार्य और कुछ शिक्षकों ने बच्चों को समझाने का प्रयास किया। लेकिन, बच्चों ने घरेलू कारणों की दलील देकर खाना खाने से मना कर दिया। नाम काटने की धमकी देते हुए कुछ बच्चों की टीसी भी काटी गई। स्कूल प्रशासन ने छात्रों को अभिभावकों के आने और भोजन न करने तक स्कूल आने से रोक लगा दी। गुरुवार को हुई बैठक में अभिभावकों ने भोजन न करने की वजह जातिगत न बताते हुए निजी बताई। लेकिन, लंबी बैठक के बावजूद मामला अनसुलझा रहा। स्कूल में दो सवर्ण और एक दलित भोजनमाता है।

कुछ दिनों से सात से दस बच्चे अनुसूचित जाति की भोजनमाता के हाथ का बना खाना नहीं खा रहे हैं। जबकि, दूसरी भोजनमाता के हाथों से बनाया खाना ये बच्चे खाते रहे हैं। यह स्थिति न स्कूल के नियमों के अनुकूल है और न ही सामाजिक सौहार्द्र के हिसाब से ठीक है। गुरुवार को अभिभावकों की बैठक बुलाई गई थी। लेकिन, कोई नतीजा नहीं निकला। किसी भी बच्चे का नाम नहीं काटा गया है। चेतावनी देने के लिए कुछ बच्चों को टीसी दी गई थी। पूरे मामले की जानकारी विभागीय उच्चाधिकारियों को दे दी गई है।

-प्रेम सिंह, प्रधानाचार्य, जीआईसी सूखीढांग।

एमडीएम विवाद की लिखित जानकारी नहीं है। प्रधानाचार्य से मामले की जानकारी लेकर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।

-जितेंद्र सक्सेना, सीईओ, चंपावत

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