जोजिला दर्रे से लौटे अविस्मरणीय स्मृतियों का खजाना लेकर
श्रीनगर गढ़वाल से श्रीनगर कश्मीर चौथा दिन 11 जून 2025
नीरज नैथानी
श्रीनगर गढ़वाल

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सोनमर्ग पर्यटन
सोनमर्ग कश्मीर के पर्यटक स्थलों में प्रमुख स्थान रखता है। आज 11 जून 2025 बुधवार शुभ दिवस को हमारे समूह का सोनमर्ग पर्यटन निर्धारित है। हमारा समूह प्रातः कालीन नाश्ते के बाद अलग अलग तीन टैम्पो ट्रैवलर में बैठकर श्रीनगर कश्मीर से निकल पड़ा सोनमर्ग भ्रमण के लिए।
होटल परिसर से बाहर निकलते ही हमारे वाहन श्रीनगर की प्रमुख सड़कों से गुजरते हुए आगे बढ़ रहे थे। श्रीनगर के पुरानी शैली के मकान, त्रिभुजाकार ढलानदार टीन की छतें, लकड़ी की नक्काशी, आकर्षक स्थापत्य कला, परम्परागत बाजार, दुकानें, मस्जिदें व अन्य भवन मुगलकालीन मुस्लिम नगर का चित्र उकेर रहे थे।
कुछ देर की यात्रा के पश्चात हमें चर्चित महत्वपूर्ण सिंधु नदी का साक्षात्कार करने का अवसर प्राप्त हुआ। अब हम सिंधु नदी के किनारे किनारे चिनार वृक्षों की छाया में सड़क मार्ग से आगे गतिशील बने हुए थे। नगर क्षेत्र से बाहर आते ही हरे भरे लम्बे खेत दिखाई दिए। खेतों मे पानी भरा हुआ था किसान धान रोपाई कर रहे थे।
मार्ग में आगे बढ़ने पर भेड़ों के झुंड ले जाते हुए अनेक चरवाहों को देखकर पहाड़ी भू दृश्यावली का चित्र सजीव हो उठा। हम लगातार सिंधु नदी के किनारे किनारे आगे बढ़ रहे थे, मार्ग में स्थान स्थान पर पुलिस, पैरा मिलेट्री चेक पोस्ट, सुरक्षा कर्मी, मिलेट्री, आर्मी की कॉनवॉय, सायरन सीटी बजाते बख्तरबंद वाहन आदि देखकर लगा कि कश्मीर आने वाले पर्यटकों की सुरक्षा को लेकर अतिरिक्त सतर्कता बरती जा रही है।
पार्श्व में हरे भरे वृक्ष, अखरोट के पेड़, जंगल, हरियाली, ऊंचे ऊंचे पहाड़ों की। खूबसूरत दृशयावली देखकर मन प्रफुल्लित हो गया। मार्ग में आने वाले गांव कस्बों में, बाजार दुकानों में चहल-पहल इलाके की रवानगी बयां कर रही थी। खुला आसमान,खिलता हुआ दिन, गुलाबी मौसम, गुनगुनी धूप व चल रही शीतल बयार के साथ पर्यटकों के आते जाते वाहनों की कतारें कश्मीर के पर्यटन का सजीव चित्रण कर रहे थे।
इसी प्रकार की दृश्यावलियों को निहारते हम सोनमर्ग टनल के मुहाने पर पहुंच गए। छः किलोमीटर लम्बी दूरी की सुरंग से पार आते ही सोनमर्ग का अनुपम दृश्य दिखाई दिया। यहां टैक्सी स्टैंड में हमारे वाहन पार्क हो गए। अब हम यहां से टाटा सूमो, महेंद्रा जीप आदि छोटे वाहनों में बैठ कर पैंतीस किलोमीटर दूर स्थित गुमरी स्टेशन के लिए चल दिए।
सोनमर्ग में थाजीवास ग्लेशियर मार्ग, मुख्य बाजार छोड़कर हम आगे बढ़ रहे थे। गाइड ने बताया कि कारगिल से पहले द्रास एरिया से बहकर क्षेत्रीय नदी जीरो प्वॉइंट पर से गुजरती है।लेह व कश्मीर के बीच जीरो प्वॉइंट को लेकर सीमा विवाद चल रहा है। केंद्र शासित प्रदेश लेह लद्दाख व कश्मीर राज्य दोनों जीरो प्वॉइंट क्षेत्र पर अपने-अपने अधिकार को लेकर दावे कर रहे हैं। कारण यह है कि यह स्थल प्रसिद्ध जोजीला दर्रे की वजह से हजारों पर्यटकों को आकर्षित करता है।
जोजील दर्रे के मार्ग में अब हमें बर्फ से ढकी अनेक चोटियां, ग्लेशियर, जंगल, हरियाली व खुली चौड़ी घाटी के आकर्षक दृश्य सम्मोहित कर रहे थे। ऊपरी मार्ग से वाहन के गुजरने पर गाइड ने बताया कि नीचे घाटी में बालटाल दिख रही है। आगामी पांच जुलाई से शुरू होने वाली अमरनाथ यात्रा की तैयारियां चल रही हैं।अमरनाथ यात्रा का एक मुख्य मार्ग यह भी है। यहां बहुत बड़ी टैंट कॉलोनी, अनेक कैम्प स्थापित हैं।एक नयी टनल का निर्माण किया जा रहा है, जो श्रीनगर कश्मीर को लेह लद्दाख सड़क मार्ग से सालभर जोड़े रखेगी। अन्यथा शीतकाल में अत्यधिक बर्फबारी होने पर सम्पर्क मार्ग बंद हो जाता है। हमारा वाहन अनेक कैंचीनुमा सड़कों की चढ़ाई पर कर अब बहुत ऊंचाई पर से गुजर रहा था।अब हम जोजील दर्रे से गुजर रहे थे।
जीरो प्वॉइंट में कार पार्किंग में पर्यटकों के वाहनों की भीड़ बता रही थी कि जोजिला दर्रे का रोमांच असंख्य यात्रियों को आकर्षित करता है। यहां पर वार मेमोरियल,1965 युद्ध में प्रयुक्त टैंक, वीर शहीदों के स्मारक देखकर मन भारतीय सेना के प्रति श्रद्धा से भर गया। आसपास की पहाड़ियों पर जगह-जगह पर लम्बे व बड़े ग्लेशियर जो ऊंची पहाड़ियों से आ रहे थे।
स्थानीय नदी जो द्रास क्षेत्र से बहकर आती है, एक बहुत बड़े ग्लेशियर के मुहाने से होकर गुजर रही थी। ग्लेशियर की विशालकाय चादर नदी के वक्षस्थल से होकर दूसरे छोर पर दूर तक फैली हुई थी। यहां पर्यटक रोमांचकारी क्रीड़ा से पर्यटन का आनंद ले रहे थे। यहां पर लगभग दो घंटे के रोमांचकारी पर्यटन के आनंद से अभीभूत होकर हम श्रीनगर लौट आए। अविस्मरणीय स्मृतियों का खजाना लेकर।
