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पागल फकीरा की गज़ल… आज पूनम की चाँदनी रात बड़ी सुहानी है

पागल फकीरा

भावनगर गुजरात

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आज पूनम की चाँदनी रात बड़ी सुहानी है,
तेरी अदा में आज भी थोड़ी थोड़ी रवानी है।

पूनम का चाँद, तेरी सादगी का कोई मोल नहीं,
इस पूर्णिमा की सौग़ात भी तो तेरी दीवानी है।

आज भी भूली बिसरी उन गुमनाम गलियों में,
छुपी हुई तेरी मेरी बचपन की कोई कहानी है।

तक़दीर के फ़ैसले में तुम मेरे साथ नहीं हो,
मेरे दिल में छुपी तेरी यादें बहुत ही पुरानी हैं।

तुमको तो याद भी न होगी पहली मुलाक़ात,
मेंरी आँखों में बसी पूनम की रात नूरानी है।

तेरी मासूम मुस्कुराहट ने दिल जलाया मेरा,
तेरी कही वो सारी बात आज भी ज़ुबानी है।

प्यार, इश्क़, मोहब्बत तो बेफज़ूल के है चोंचले,
उसके पीछे ही बर्बाद आज मेरी ये जवानी है।

पूनम की रात में भी उलझन में जी रहा हूँ,
तेरे इश्क़ में उलझ रही वो मेरी ज़िन्दगानी है।

तेरी ज़िन्दगी का मुझसे कोई राब्ता नहीं बचा,
फिर क्यों “फ़क़ीरा” की मौजूदगी से परेशानी है।

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