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पहाड़ी पिंटू की बहुत हैं खूबियां,, आप भी करें डाउनलोड

लो, अब हिमालय से सात समंदर पार छलांग लगाने को तैयार हैं, #जनाब #पिंटू जी :

जी हाँ ! पिंटू (pintu) जी .. जो रख रहें है अब आपकी और हमारी हर जरूरतों का ख़याल। अब आप जहां चाहें वहां पिंटू को अपने साथ पाएं ।
पिंटू #पहाड़ प्रेमी है। पिंटू #पहाड़ियों को पहाड़ियत से जोड़ रहा है। इसका उद्देश्य पहाड़ की आर्थिकी को मजबूत कर यहां के युवाओं को मजबूत व स्वावलंबी बनाना है। और इन्हीं सब खूबियों के चलते आजकल हर कोई “पिंटू” का दीवाना हो रहा है। “पिंटू” का उत्तराखंड से गहरा नाता है। इसके जनक पूर्णरूप से भारतवंशी हैं ।

चलिए अब विस्तार से बताता हूँ जनाब “पिंटू” के बारे में। दरअसल इन “पिंटू” जी को धरती पर उतारने वाले हैं उत्तराखंड के होनहार युवा, रमन व अक्षय। हालांकि दोनों का नाता सीमांत जनपद चमोली से है। लेकिन अपनी #प्रतिभा के बूते बैंगलुरू, मुम्बई, दिल्ली व चंडीगढ़ तक इनकी धाक है ।
पहले बात करते हैं रमन शैली की। रमन मूल रूप से गौचर के रहने वाले हैं, जो पेशे से #शॉफ्टवेयर_इंजीनियर हैं। और इनकी इसी इंजीनियरिंग ने जन्म दिया उत्तराखंड में बहुगुणी “पिंटू” को। रमन के “पिंटू” को जमीन पर चलना सिखा रहे चमोली के होनहार अक्षय पुरोहित। स्पष्ट शब्दों में यह समझें कि रमन डेवलपर हैं, तो अक्षय ग्राउण्ड लेबल ऑपरेटर। एक दूसरे के बगैर पिंटू अधूरा है।

लेकिन अब आप सोच रहे होंगे कि, आखिर यह “पिंटू” है कौन जिसका इतना गुणगान हो रहा है!
बताते चलूं कि दरअसल “पिंटू” आपकी जरूरतों को पूरा करने वाला एक एप (app) है, जो आपको अपने मोबाइल के गूगल प्ले स्टोर में बड़ी आसानी मिल जाएगा। अब आप यह भी सोच रहे होंगे कि इसका नाम “पिंटू” क्यों रखा, अच्छा होता कि इसका नाम फ्यूंली, बुरांश, ढ़ोल अथवा दमाऊं आदि इत्यादि रख लेते जो पहाड़ का लबादा ओढ़े होता।

लेकिन हमें यहां ये मगजमारी करने से पहले यह भी ध्यान में रखना होगा कि इसके जनक शॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं, क्रिएटिव हैं। वो अगर कोई नाम रख रहें हैं तो वह जरूर विविधता से परिपूर्ण होगा, मीनिंगफुल होगा। “पिंटू” नाम भी स्वयं में रचनात्मक खूबियों को समेटे हुए है। यह तकनीकी का एडवांस वर्जन है। साफ शब्दों में बताएं तो “पिंटू” एक पिनकोड बेश एप है। जो आने वाले समय में जिस भी जगह आप खड़े हैं , वह आपको मोबाईल के मार्फ़त ऑटोमेटिकली एरिया पिनकोड से ही यह बताने में सक्षम है कि उस क्षेत्र में आपके जरूरत की क्या चीजें उपलब्ध हैं, जिसे आप ऑर्डर कर तुरन्त अपने तक मंगवा सकते हैं । रमन ने बताया कि आगे इसे और अधिक एडवांस बनाने की दिशा में काम जोरों पर चल रहा है।

फिलहाल “पिंटू” पहाड़ के जैविक उत्पादों के अलावा अन्य साजो सामानों को यहां के गांवों से देश के छोटे-बड़े नगरों व महानगरों तक पहुंचाने के काम में जुट गया है। जिसका लोकार्पण उत्तराखंड में लोकसंस्कृति की मजबूत स्तंभ यूथ आइकॉन नेशनल अवार्ड के जन शिरोमणि, जनश्री परम आदरणीय नरेंद्र सिंह नेगी जी द्वारा किया जा चुका है।

घर बैठे क्या-क्या ऑर्डर कर मंगाया जा सकता है “पिंटू” से :

आप घर बैठे ऑर्डर करें “पिंटू” जी झट्ट से तैयार होंगे आपकी सेवा में। इस बात से आप हम सभी विज्ञ हैं कि, हमेशा से पहाड़ के उत्पाद गुणवत्ता के प्रतीक माने गए हैं। जिनकी बड़ी डिमाण्ड लोगों के बीच है लेकिन बाजार में आसान उपलब्धता न होने कारण यह उत्पाद लोगों की पहुंच से बाहर ही रहे, परन्तु अब आप स्वादिष्ट पहाड़ी लूण (नमक) लिंगड़े, तिमले के अलावा अन्य का अचार, शुद्ध शहद, क्वदे (मंडुवा) का आटा, झंगोरा, गहथ, उड़द, राजमा, फरण, अदरक, कंडाली की चाय सहित अनेकों आईटम जिसकी लिस्ट एप को ऑपन कर मिलेगी तुरन्त ऑर्डर कर घर पर डिलीवरी पाएं, पिंटू के मार्फ़त।

रमन ने बातचीत में बताया कि हमारा उद्देश्य पहाड़ों की पारम्परिक खेती को बढ़ावा देने के साथ-साथ स्थानीय काश्तकारों की आर्थिकी को मजबूत बनाना भी है। फिलहाल “पिंटू” उद्यमियों व ग्राहकों के मध्य बाजार में खड़ा है। जो अपने सभी मानकों को पूरा करते हुए आपकी सेवा के लिए भी हर-पल, हर-दम संकल्प के साथ सेवा दे रहा है।

यहाँ बताना चाहूंगा कि मैंने इस लेख को लिखने से पहले “पिंटू” की दो बार टैस्टिंग की और दोनों ही बार में “पिंटू” की सेवा अब्बल मिली। सुबह ऑर्डर किया, दिन में ऑर्डर किया और सामान चंद घंटों में घर पर डिलीबर हो गया। तो ऐसे रचनात्मक व सकारात्मक युवाओं की मुहिम की सराहना तो बनती ही है। यही सोच आज यह रिपोर्ट तैयार कर ली। आप भी एक बार जरूर अपने मोबाइल के गूगल प्ले स्टोर से स्वदेशी “पिंटू” एप को डाऊनलोड करें और इस मुहिम का हिस्सा बनें। आओ सब मिलकर रमन शैली व अक्षय पुरोहित जैसे ऊर्जावान युवाओं के उत्साह को बढ़ाएं।
जय हिंद ! जय भारत ! जय उत्तराखण्ड !

#शशि_भूषण_मैठाणी_पारस जी की फेसबुक वाल से

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