कवि चंदेल साहिब की रचना.. सबकी एक पहचान ‘मैं हिंदी हूँ’।
कवि चंदेल साहिब
देवभूमि हिमाचल
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मैं हिंदी हूं
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देश की एकता एवं देश की अखंडता में,
सबकी एक पहचान “मैं हिंदी हूँ”।
संतों की वाणी व कवियों की जुबानी में,
मिला जुला संगम “मैं हिंदी हूँ”।
पत्रों के तार औऱ गुरु के व्यवहार में,
अपनेपन का समावेश “मैं हिंदी हूँ”।
गीतकार के गीतों संगीतकार के संगीत में,
मन की मन्त्रमुग्धता “मैं हिंदी हूँ”।
रूठने औऱ मनाने में नानी की कहानियों में,
अथाह प्रेम का संगम “मैं हिंदी हूँ”