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साहित्यकार प्रेमलता सजवाण के उपन्यास ‘मंजरी’ का डीजीपी अशोक कुमार ने किया लोकार्पण

-प्रिंस हनी रेस्टोरेंट धर्मपुर देहरादून में आयोजित किया गया लोकार्पण समारोह, साहित्यकारों को भी किया गया सम्मानित

देहरादून (dehradun)। साहित्यकार प्रेमलता सजवाण (Premlata sajwan) का उपन्यास ‘मंजरी’ (manjri) शनिवार को पाठकों के बीच पहुंच गया। प्रिंस हनी रेस्टोरेंट धर्मपुर देहरादून में आयोजित समारोह में मुख्य अतिथि डीजीपी अशोक कुमार, विशिष्ट अतिथि अपर निदेशक सीमेट शशि चौधरी, धाद के संस्थापक लोकेश नवानी, साहित्यकार बीना कंडारी और अलकनंदा अशोक ने उपन्यास का लोकार्पण किया।


कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों के दीप प्रज्वलन और शांति बिंजोला (shanti Bainjola) की गढ़वाली वंदना ‘दैंणा होइयां खोली का गणेश’ से हुई। मुख्य अतिथि डीजीपी अशोक कुमार (DGP Ashok Kumar) ने कहा कि ‘मंजरी’ स्त्री विमर्श पर आधारित सशक्त उपन्यास है। उपन्यास के पात्रों के नाम से लेकर उसका कथ्य आकर्षित करता है। प्रेमलता सजवान का यह उपन्यास पाठकों को निसंदेह पसंद आएगा। उन्होंने कहा कि लेखन स्वंतः सुखाय के लिए भी होता है और समाज को दिशा देने के लिए भी। मंजरी समाज को दिशा देने का काम करेगा।


विशिष्ट अतिथि शशि चौधरी (Shashi Chaudhary) ने कहा कि पिछले 45 सालों में स्त्री को लेकर और स्त्री में बहुत परिवर्तन आया है। स्त्री के लिए यह सुखद है। वर्तमान में ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है जहां स्त्री की सशक्त मौजूदगी न हो। प्रेमलता सजवान का उपन्यास ‘मंजरी’ उस कड़ी को आगे बढ़ाते हुए आस जगाता है। शिक्षण के साथ साहित्य लेखन में प्रेमलता सजवान जिस तरह परिपक्वता के साथ आगे बढ़ रही हैं वह सराहनीय है।


कार्यक्रम के अध्यक्ष लोकेश नवानी (Lokesh navani) ने कहा कि स्त्रियों का लंबे समय से शोषण होता रहा। स्त्री, स्त्री नहीं मनुष्य है। वह भी वो सबकुछ कर सकती है जो पुरुष कर सकता है। लेकिन, पुरुष का सबसे बड़ा अपराध यह रहा कि उसने लड़की को पढ़ने नहीं दिया। वर्तमान में स्थितियां बदली हैं। आने वाला समय स्त्रियों का स्वर्ण युग है। उन्होंने कहा कि जब कभी भी सुंदर दुनिया बनेगी वह बिना स्त्री के सहयोग से नहीं बन सकती।

पुस्तक की समीक्षा धाद लोकभाषा एकांश की अध्यक्ष बीना कंडारी ने की। जबकि, संचालन वरिष्ठ साहित्यकार बीना बेंज्वाल ने किया। इस अवसर अरुण सजवाण, कैलाश नेगी, मंजू नेगी, मधुर वादिनी तिवारी, रमाकांत बेंजवाल, सम्पति देवी, शांति प्रकाश जिज्ञासु, वीरेन्द्र डंगवाल “पार्थ”, सुरेश स्नेही, हरीश कंडवाल, अखिल सजवाण, निखिल सजवाण, तुषार नेगी, कांता घिल्डियाल, अंजना नैना, नीरज डंगवाल आदि मौजूद रहे।

साहित्यकारों को किया सम्मानित

लोकार्पण समारोह में साहित्यकार रमाकांत बैंजवाल, वीरेन्द्र डंगवाल “पार्थ”, शांति प्रकाश जिज्ञासु, लक्ष्मण रावत और सुरेश स्नेही को सम्मानित किया गया।

गढ़वाली व्यंजनों का लुत्फ भी

मंजरी के लोकार्पण समारोह में सजवाण परिवार की ओर से गढ़वाली व्यंजन भी परोसे गए। मंडवे (कोदा) की रोटी, कंडाली का साग और झंगोरे की खीर विशेष रूप से पसंद की गई।

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