कवि/गीतकार वीरेन्द्र डंगवाल “पार्थ” की एक रचना.. महाभारत जारी है…
वीरेन्द्र डंगवाल “पार्थ”
देहरादून, उत्तराखंड
——————————————–
महाभारत जारी है…
————————————
अनवरत जारी है
महाभारत
पिछले पांच हजार वर्षों से
आज तक
तब पांच गांवों के लिए
हुआ था महाभारत
आज
पांच बिस्वे के लिए
काट रहा है.. भाई
भाई का सिर।
तीर, तलवार, गदाओं की
नहीं होती आज जरूरत
नहीं लड़ना पड़ता
युद्ध……
अट्ठारह दिनों तक
आज
बंदूक की एक गोली
कर देती है फैसला
महज
अट्ठारह सेकेंड में।
एक समानता है
तब और आज में
बंधु/बांधव
तब भी कौरवों के साथ थे
और
आज भी हैं।
बालों से खींचकर
लाई गई थी द्रौपदी
भरी सभा में
चीरहरण के लिए
लेकिन,
बचा ली थी, उसकी लाज
कृष्ण ने।
लेकिन, आज
कितनी ही अबलाओं का
चीरहरण कर
घुमाया जाता है उन्हें
पूरे गांव में
भरे बाजार में
लेकिन,
उनको चीर देने
नहीं आता कोई कृष्ण
इस लोकतंत्र में।
मिट गए अब तो
संस्कार, मान्यताएं, रिश्ते
नहीं करता दुर्योधन
द्रौपदी का चीरहरण
भरी सभा में
बल्कि
आज खुद द्रौपदी का चीरहरण
करता है द्रुपद
बंद कमरे में।
जिगर नहीं रखता
कोई भीम
दुर्योधन की जंघा तोड़ने का
बल्कि,
भीम कर रहा है रक्षा
बलात्कारी की/भ्रष्टाचारी की
क्योंकि…
वह चाहता है हिस्सेदारी
चीरहरण के बाद की।
तब द्रौपदी एक थी
और दुर्योधन भी एक
दुर्योधन लाखों हैं आज
वो बनाना चाहते हैं
हर नारी को द्रौपदी
तब होता था केवल चीरहरण
आज चीरहरण के बाद
काटकर
जला दी जाती है द्रौपदी
चूल्हे में/तंदूर में।
दे दिया होता श्राप
तब…द्रौपदी ने
अस्तित्व मिट गया होता नर का
आज वह श्राप तो क्या
आवाज भी नहीं दे सकती
रोक लिया था
उस वक्त गांधारी ने द्रौपदी को
बच गया, इसलिए
अस्तित्व नर का
उसकी आंखों में थी तब
पट्टी…
आज गांधारी की आंखों में
नहीं है पट्टी
वह खुद
उकसा रही है दुर्योधन को
चीरहरण के लिए
और
देखना चाहती है
तमाशा।
अंधा धृतराष्ट्र
बैठा था सिंहासन पर
तब वह वाकई
अंधा था…
आज धृतराष्ष्ट्रों की फौज
अंधा होने का नाटक करते हुए
जमी है सिंहासन पर
उसी
धृतराष्ट्र की तरह।
————————————————–
सर्वाधिकार सुरक्षित।
प्रकाशित…..20/12/2020
नोट: 1. उक्त रचना को कॉपी कर अपनी पुस्तक, पोर्टल, व्हाट्सएप ग्रुप, फेसबुक, ट्विटर व अन्य किसी माध्यम पर प्रकाशित करना दंडनीय अपराध है।
2. “शब्द रथ” न्यूज पोर्टल का लिंक आप शेयर कर सकते हैं।
————————————————–
कवि परिचय
वीरेंद्र डंगवाल “पार्थ”
कवि/गीतकार/पत्रकार
संप्रति – पत्रकारिता
शिक्षा- एमकॉम, बीएड, पीजी डिप्लोमा इन कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग एवं मैनेजमेंट।
प्रदेश महामंत्री – राइटर्स एंड जर्नलिस्ट एसोसियेशन (वॉजा इंडिया)
लेखन– छंद, गीत, ग़ज़ल, कविता, कहमुकरी, माहिया, संस्मरण, कहानी (हिन्दी व लोकभाषा गढ़वाली)
प्रकाशित कृतियां – काव्य सौरभ (संयुक्त काव्य संग्रह), सृजन गुच्छ (संयुक्त काव्य संग्रह), अंग्वाल (संयुक्त काव्य संग्रह- गढ़वाली), वाह रे बचपन (संयुक्त संस्मरण संग्रह हिंदी)।
प्रकाशनाधीन – काव्य व कहानी संग्रह (हिंदी) काव्य व कहानी संग्रह (गढ़वाली)।
विशेष – 26 जनवरी व 15 अगस्त की पूर्व संध्या पर आयोजित सरकारी कवि सम्मेलनों, राष्ट्रीय व स्थानीय स्तर पर कवि सम्मेलनों में प्रतिभाग
-दूरदर्शन देहरादून (हिंदी गढ़वाली) और आकाशवाणी नजीबाबाद से गढ़वाली कविताओं का निरंतर प्रसारण
– वर्ष 1987 से 1997 तक रंगमंच पर (बतौर अभिनेता ) सक्रिय, 1988 से काव्य गद्य लेखन, काव्यमंच पर 1999 से सक्रिय।
– 1995 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी के जन्मदिवस पर उनके जन्म स्थान पोरबंदर गुजरात से वर्धा महाराष्ट्र तक निकली पैदल यात्रा में प्रतिभाग।
साहित्यिक व पत्रकारिता में उपलब्धियां, सम्मान –
– यूथ आइकॉन राष्ट्रीय मीडिया अवार्ड (पत्रकारिता ) 2015
– मुंशी प्रेमचंद कहानीकार सम्मान- 2007
– विशिष्ट सेवा सम्मान -2013-14
– रीता शर्मा स्मृति साहित्य सम्मान- 2017
– सेवासेतु कवि रत्न सम्मान -2018
– हिंदी साहित्य रत्न सम्मान -2018
– उत्तराखंड साहित्य साधक सम्मान -2019
– राष्ट्रभाषा गौरव सम्मान -2019
– कोरोना वारियर सम्मान -2020
– कोरोना वारियर “मदद गुरु” सम्मान -2020
– स्पेशल कोरोना वारियर्स सम्मान -2020
मोबाइल – 9412937280, 7906483038
मेल – parth.sahara@gmail.com
पता -430 टी एस्टेट बंजारावाला, देहरादून, उत्तराखंड। 248001