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देश के मशहूर कवि/शाइर चेतन आनंद की एक ग़ज़ल … दस्तकें हैं कामयाबी की हमारी मुश्किलें

चेतन आनंद
गाजियाबाद

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ग़ज़ल

ज़िन्दगी में आ रही हैं ये जो भारी मुश्किलें।
दस्तकें हैं कामयाबी की हमारी मुश्किलें।

मत न समझो हैं तुम्हारी, बस तुम्हारी मुश्किलें।
ये तुम्हारी मुश्किलें भी हैं हमारी मुश्किलें।

देख लेना ज़िन्दगी फिर बेमज़ा हो जाएगी,
ख़त्म हो जाएंगी सारी की जो सारी मुश्किलें।

साँस लेना और भी आसान फिर लगने लगा,
अपने ज़हन ओ दिल से जब हमने उतारी मुश्किलें।

कोशिशों के बाद भी जो हल कभी होती नहीं,
उम्रभर वो वक़्त की होती हैं मारी मुश्किलें।

चढ़ रहे हैं जैसे-जैसे उम्र की हम सीढ़ियाँ,
वैसे-वैसे आ रही हैं बारी-बारी मुश्किलें।

जब छुपी बैठीं थीं तब लगती थीं ताक़तवर हमें,
सामने आईं तो देखीं हमने हारी मुश्किलें।।

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