Sat. Nov 23rd, 2024

दल-बदल की राजनीति पर कवि जीके पिपिल की चुटकी

जीके पिपिल
देहरादून, उत्तराखंड


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आसमान में चाँद भी था सितारे भी थे
आँखों में कल के सुनहरे नज़ारे भी थे
मगर किस्मत में मझधार था वो मिला
हाँ होने को तो दरिया में किनारे भी थे।

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