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कवि जसवीर सिंह की एक कविता.. अब होना युद्ध जरूरी है.. घर होना शुद्ध जरूरी है.

जसवीर सिंह ‘हलधर’
देहरादून, उत्तराखंड
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कविता – चेतावनी
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अब होना युद्ध जरूरी है।
घर होना शुद्ध जरूरी है।।
हिन्दू का क्रोध जरूरी है।
मसले पर शोध जरूरी है।।

जो हर मुद्दे पर चौंच रखें।
जो तालिबान की सोच रखें।।
राणा हो या असलम खां हो।
चाहे जितना तुर्रम खां हो।।

चाहे नेता अंसारी हो।
हलवाई या पंसारी हो।।
ना समझा तो मिट जाएगा।
यदि बोला तो पिट जाएगा।।

क्या तालिबान लगता मामा।
क्यों काट रखा है हंगामा।।
अब माफ न होगी मक्कारी ।
अब साफ न होगी गद्दारी।।

यदि भारत में डर लगता है।
सोते सोते जो जगता है।।
अफगानिस्तान चला जाए।
या पाकिस्तान चला जाए।।

यह भारत की तस्वीर नयी।
कर में देखो शमशीर नयी।।
भारत का मान करेगा जो।
शोणित का दान करेगा जो।।

यह लोकतंत्र का शासन है।
सबको ही मिलता राशन है।।
तुम रहो मीर जैसे बनकर।
ग़ालिब कबीर जैसे बनकर।।

सारे धर्मों का स्वागत है।
मिलकर रहने की दावत है।।
ये जन गण की सेवारत है।
हलधर का प्यारा भारत है।।

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