सुलोचना परमार ‘उत्तरांचली’ की एक गढ़वाली रचना…. चिट्ठी
सुलोचना परमार ‘उत्तरांचली’
देहरादून, उत्तराखंड
चिट्ठी
कलेजी म ठंड मेरी
यखी पड़ी जांदी जु
चिट्ठी तेरी रोज औंदी।
बरसू बटी छोंमि
सास लग्यू अर
आग भी रोज भभरौंदी।
देवी देवतों का थान गयुं मि
पूजा करी त्यारा बाना।
जख छे भग्यान तू
राजी खुशी रे मैं
याद भौत तेरी औंदी।
कलेजी…
पुंगड्यूं क तीर हेरि डाकवान
अर चौका तिरवाल जग्वाळी
देली म देखणु मि ओन्दू दौड़ी कि
पर चिट्ठी तेरी क्वी नई औंदी।
कलेजी…
जिकुड़ी कु धकध्याट थमदु यखुली
किलै छे मीतै सतौणी,
सुपन्या जु दिखदु बनि-बनि का
तों म भी तू कब्बी नि औंदी।
कलेजी…
गाड़ गदेरा अर छमछम छोया,
ई बग्दन आंखयूं बटी की,
तुत निऐ सकी कभी जै बाटा
स्या याद तेरी रोज औंदी।।
कलेजी…