पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल का 95 साल की उम्र में निधन
-प्रकाश सिंह बादल के निधन से पंजाब की राजनीति का अध्याय खत्म हो गया है। 95 साल की उम्र तक सियासत में सक्रिय रहने के कारण उन्हें राजनीति का बाबा बोहड़ (दिग्गज) कहा जाता था। बादल ने 20 साल की उम्र में 1947 में सरपंच का चुनाव जीतकर अपना राजनीतिक करियर शुरू किया था। इसके बाद वह पांच बार पंजाब के मुख्यमंत्री बने।
शिरोमणि अकाली दल के संरक्षक और पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल का मंगलवार रात निधन हो गया। मोहाली के फोर्टिस अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली। केंद्र सरकार ने बादल के निधन पर दो दिन (26-27 अप्रैल) के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की है। इस दौरान राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा, सरकारी मनोरंजन के कार्यक्रम नहीं होंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी चंडीगढ़ पहुंचकर प्रकाश सिंह बादल को अंतिम श्रद्धांजलि दी। बादल पंजाब की सियासत के बड़े चेहरों में थे।
सबसे कम उम्र और सबसे अधिक उम्र में मुख्यमंत्री
सबसे कम उम्र में पंजाब का मुख्यमंत्री बनने और सबसे अधिक उम्र में मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठने का रिकॉर्ड भी प्रकाश सिंह बादल के नाम है। बादल 1970 में जब पहली बार मुख्यमंत्री बने तो 43 साल के बादल देश में सबसे कम उम्र यानी किसी राज्य के मुख्यमंत्री थे। 2012 में जब वह 5वीं बार मुख्यमंत्री बने तो वह देश के सबसे उम्रदराज मुख्यमंत्री बने। 2022 के चुनावी मैदान में उतरे तो सबसे ज्यादा उम्र के प्रत्याशी थे। बादल 10 बार विधानसभा में पहुंचे। बादल ने अपने जीवन के अधिकतर विधानसभा चुनाव मुक्तसर की लंबी सीट से लड़े। 2022 के आखिरी विधानसभा चुनाव में हार गए।
1957 में पंजाब विधानसभा के लिए निर्वाचित
प्रकाश सिंह बादल 1957 में पहली बार पंजाब विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए। 1969 में प्रकाश सिंह बादल फिर विधानसभा के लिए चुने गए और गुरनाम सिंह की सरकार में उन्हें सामुदायिक विकास, पंचायती राज, पशु पालन, डेरी और मत्स्य पालन मंत्रालय का कार्यभार दिया गया।
हिंदू-सिख भाईचारे के मुद्दे पर भाजपा के साथ मिलाया हाथ
पंजाब में आतंकवादियों ने 20 हजार हिंदुओं/सिखों को मौत के घाट उतार दिया। साल 1984 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद पंजाब का माहौल और बिगड़ गया। 1995 तक यह स्थिति बनी रही। 1987 में आतंकवादियों ने हरियाणा में बस पर हमला कर 34 हिंदुओं और पंजाब में बस पर हमला कर 38 हिंदुओं की हत्या कर दी। हिंदू व सिखों के बीच गहरी खाई बनती जा रही थी। कई हिंदू पंजाब से पलायन करने लगे। ये हिंदू वो थे, जिन्होंने सिखों के साथ ही देश के विभाजन का दंश झेला था। पंजाब में दो दशकों से अधिक समय तक उग्रवाद के बाद अकाली दल ने 1997 के विधानसभा चुनावों में हिंदू-सिख भाईचारे के मुद्दे पर भाजपा के साथ हाथ मिलाया। इसकी पहल प्रकाश सिंह बादल ने की थी। उन्होंने इसे नाखून व मांस का रिश्ता बताया। 2011 की जनगणना के अनुसार राज्य में 57.69 फीसदी सिख, 38.49 फीसदी हिंदू, 1.93 फीसदी मुस्लिम और 1.26 फीसदी ईसाई आबादी थी।
1959 में सुरिंदर कौर से हुआ था विवाह
प्रकाश सिंह बादल का जन्म 8 दिसंबर 1927 को पंजाब में मुक्तसर के गांव अबुल खुराना में हुआ था। पिता का नाम रघुराज और मां का नाम सुंदरी कौर था। 1959 में उन्होंने सुरिंदर कौर से शादी की। बेटी परनीत की शादी आदेश प्रताप सिंह कैरों से हुई, जो कि पूर्व मुख्यमंत्री प्रताप कैरों के बेटे हैं। बादल की पत्नी का 2011 में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया था।