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उत्तराखंड की शान: रावण के किरदार को जीवंत करने वाले अमीचंद भारती

जगदीश ग्रामीण
टिहरी गढ़वाल, उत्तराखंड
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विजयादशमी पर विशेष…

आज दशहरा का पावन पर्व है सोचा “रावण” से मुलाकात कर ली जाए। 93 वर्षीय मास्टर अमीचंद भारती आज भी महफ़िल में शमां बांध देते हैं। नाटकों और रामलीला में महिला किरदारों को छोड़कर जरूरत के हिसाब से 12 वर्ष की नन्हीं उम्र से हर किरदार निभाया है। यूं तो मास्टर अमीचंद भारती ने कंस, अभिमन्यु, अलाउद्दीन खिलजी, लक्ष्मण सहित न जाने कितने किरदार निभाए हैं। लेकिन, हर जुबां पर उनके नाम के चर्चे होते हैं तो रावण के किरदार के।

12 वर्ष की उम्र में बडोंवाला की रामलीला में लक्ष्मण के किरदार से सांस्कृतिक विरासत की यात्रा प्रारंभ करने वाले मास्टर अमीचंद आज 93 वर्ष की आयु में भी महफ़िलों की शान समझे जाते हैं। बडोंवाला, रानीपोखरी, भोगपुर, बड़ासी, डोईवाला, वनखंडी, ऋषिकेश, राजपुर, रुड़की, भगवानपुर, हरिद्वार, ज्वालापुर, बड़कोट (उत्तरकाशी) रामनगर (नैनीताल) सहित सैकड़ों स्थानों पर सम्मान के साथ रावण का किरदार निभाने के लिए बुलाए जाते रहे हैं।

बेटे निभाते हैं राम लक्ष्मण का किरदार

सरल, मृदुभाषी, सहज उपलब्ध होने वाले मास्टर अमीचंद भारती की सबसे बड़ी विशेषता जो उन्हें अन्य कलाकारों से अलग करती है, वो ये है कि उनकी कला उनके साथ दम नहीं तोड़ती है बल्कि उन्होंने इस विरासत को बड़े मनोयोग से अगली पीढ़ी को हस्तांतरित भी किया है। मास्टर अमीचंद भारती जी के पुत्र उपदेश चंद भारती और गणेश चंद भारती रामलीला में राम और लक्ष्मण का किरदार निभा रहे हैं। उनका मार्गदर्शन करते हैं रावण के किरदार। उन्होंने बहुत सारे परिचितों, रिश्तेदारों को भी ये विरासत हस्तांतरित की है।

अमीचंद भारती को गुरु मानते हैं सोलंकी

बड़ासी ग्रांट की रामलीला के डायरेक्टर 75 वर्षीय दयाल सिंह सोलंकी आपको अपना गुरु मानते हैं और बताते हैं कि वे भी बचपन से ही भारती जी की संगति में आ गए थे। सैकड़ों कार्यक्रमों में उनके साथ रहे। मास्टर अमीचंद भारती हारमोनियम के भी उस्ताद हैं। गत वर्ष तक राजपुर की रामलीला में हारमोनियम वादक के रूप में अपनी उपस्थिति देते रहे हैं।

यादें नहीं कर सके कैद

कक्षा 8 तक की शिक्षा भोगपुर और भगवानपुर से प्राप्त करने वाले जनपद देहरादून के रायपुर विकासखण्ड के बड़ासी ग्रांट निवासी भारती जी कहते हैं कि हमारे जमाने में न मोबाइल था न कैमरा। यादें कैद नहीं कर सके। 1987 की “रावण” किरदार की फ्रेम में जड़ी फोटो दिखाते हुए पुरानी यादों को याद करते हुए प्रसन्न हो जाते हैं।

संस्कृति विभाग को लेनी चाहिए कलाकारों की सुध

मीडिया की नज़रों से दूर, प्रचार-प्रसार से अनभिज्ञ भारती जी का भरा-पूरा परिवार हमारी सांस्कृतिक विरासत को संजोए हुए है। उत्तराखंड संस्कृति विभाग तक यह सन्देश पहुंचना चाहिए कि ऐसे कलाकारों का सम्मान किया जाना चाहिए। आर्थिक मदद दी जानी चाहिए। उम्र के इस पड़ाव पर भारती जी ऐनक लगाकर अखबार पढ़ते हैं, चलते-फिरते हैं। पूर्ण रूप से स्वस्थ व प्रसन्नचित्त हैं।

मेरे पुरखे आपको नमन है जीवनभर रावण का किरदार निभाकर भी आपने हमें पात्र रूप में राम, लखन दिए।
नमन, वंदन, अभिनन्दन!

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