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एनएसयूआई ने मुख्यमंत्री का पुतला फूंका, गर्भवती की मौत पर उठाए सवाल

देहरादून एनएसयूआई ने राज्य में बिगड़ती स्वास्थ्य व्यवस्था के खिलाफ मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का पुतला फूंका। साथ ही सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गैरसैंण चमोली में गर्भवती की मौत व प्रदेश में गर्भवती महिलाओं को होने वाली समस्याओं के संबंध में डीएम के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भी भेजा।


सौरभ ममगाईं ने कहा कि 17 अगस्त को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गैरसैंण में गर्भवती हीरा देवी को भर्ती किया गया था। डॉक्टरों की जांच में महिला स्वस्थ पाई गई और अस्पताल में ही सामान्य डिलीवरी कराने बात परिजनों को बताई गई। लेकिन, 24 घंटे बाद 18 अगस्त को डिलीवरी के दौरान महिला की मृत्यु हो जाती है। इसके बाद अस्पताल प्रशासन ने पुलिस को सूचना नहीं दी और न ही पोस्टमार्टम करवाया। गर्भ में पल रहे नवजात को बचाने का प्रयास भी नहीं किया गया। महिला के मृत शरीर से बिना नवजात को अलग किए परिवार को सौंप दिया गया। परिवार ने अंतिम संस्कार से पहले नवजात को मां के शरीर से खुद ही निकाला। उन्होंने कहा घटना मानवता को शर्मशार करने वाली है। इसलिए एनएसयूआई जांच की मांग करती है। पुतला दहन करने वालों में जिला सचिव विजय बिष्ट, डीएवी प्रभारी हिमांशु रावत, छात्र नेता आदित्य बिष्ट, उदित थपलियाल, गौरव रावत, अंकित बिष्ट, वाशु शर्मा, उत्कर्ष जैन, प्रियांशु गौड़ आदि मौजूद रहे।

एनएसयूआई की मांगें

1) डॉक्टर व अस्पताल प्रशासन के खिलाफ लापरवाही का मुकदमा दर्ज कर उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए जाएं।
2) महिला के परिवार को सरकार की ओर से मुआवजा दिया जाए।
3) प्रदेश के अधिकांश स्वास्थ्य केंद्रों में गर्भवती महिलाओं को समय पर उपयुक्त इलाज न मिलने के कारण अंतिम क्षणों में हायर सेंटर रेफर कर दिया जाता है। इससे कई बार दुखद घटनाएं प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों से सामने आती हैं। लेकिन, प्रशासन सबक नहीं लेता। इसलिए ब्लॉक व तहसील स्तर के अस्पतालों में स्थाई सर्जन की व्यवस्था की जाए। साथ ही आपातकाल स्थिति के लिए हर अस्पताल में कम से कम एक वेंटिलेटर की सुविधा उपलब्ध करवाई जाएं। उसके साथ ही अल्ट्रासाउंड की भी व्यवस्था की जाए।

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