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पीताम्बर मोर मुकुट धारण कर… चाँदनी रात में मोहन वृंदावन आओ..

चंदेल साहिब
कवि/शाइर/लेखक
हिमाचल प्रदेश
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पीताम्बर मोर मुकुट धारण कर
चाँदनी रात में मोहन वृंदावन आओ
फ़िर ख़्वाब अग़र हो जाओ तो ग़म क्या।

साँवरी सूरत तिरछी नज़र नैन कज़रारे
कान्हा राधे गोपियों से आँख मिलाओ
फ़िर नज़र अग़र चुरा लो तो ग़म क्या।

सुंदर कोमल नूपुर पग धर कर
गोकुल में माखन चुराने आ जाओ
फ़िर मटकी अग़र टूट जाए तो ग़म क्या।

मीठी सी मुस्कान औऱ मुरली की तान
साँवरे यमुना के मनोरम तट पर बजाओ
फ़िर विरह की पीड़ा सताए तो ग़म क्या।

पुनर्मिलन पुलकित तन एवं हर्षित मन
बरसाने में माधव राधे संग रास रचाओ
फ़िर धैर्य की कठिन परीक्षा हो तो ग़म क्या।


सर्वाधिकार सुरक्षित।
प्रकाशित…..11/11/2020
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