समौण इंसानियत की: गरीब-जरूरतमंदों की मदद के लिए फिर शुरू हुई मुहिम
-समौण इंसानियत की मुहिम में अब जरूरतमंदों को यूज किए पुराने नहीं बल्कि बांटे जाएंगे नए कपड़े
-समाजसेवी शशि भूषण मैठाणी ने
मुहिम से जुड़ने के लिए सक्षम लोगों से की अपील
शब्द रथ न्यूज (shabd rath news)। गरीब जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए समाजसेवी शशि भूषण मैठाणी (shadhi Bhushan maithani) की ‘समौण इंसानियत की’ मुहिम फिर शुरू हुई है। अभियान के तहत जरूरतमंदों को गरम कपड़े दिए जाते हैं। शारदीय नवरात्र से ‘समौण इंसानियत की’ (samaun insaniyat ki) के तहत लोगों की मदद का काम शुरू भी हो चुका है। इस मुहिम में समाजसेवी शशि भूषण मैठाणी की दो छोटी बेटियां मनस्विनी मैठाणी (manishwani) व यशस्विनी (yashaswini) मैठाणी बराबर भागीदारी करती हैं। मैठाणी ने सक्षम लोगों से अभियान में जुड़ने की अपील भी की है ताकि अधिक से अधिक लोगों की मदद हो सके।

मैठाणी ने बताया कि राशन में ‘कुट्यारी स्वाभिमान’ के बाद अब एक बार फिर से गर्म कपड़े (warm clothes) बांटने की मुहिम ‘समौण इंसानियत की..गर्माहट रिश्तों की’ शुरू कर दी गई है। शारदीय नवरात्र के अष्टमी व नवमी में कन्यापूजन से लेकर व विजयादशमी में अभियान का शुभारंभ किया गया। शुरूआती अभियान में गर्म कपड़े खरीदकर तीन दर्जन गरीब बच्चों को बांटे गए हैं।
मैठाणी ने बताया कि बीते 5 वर्षों में नए गरम कपड़ों के साथ-साथ साफ-सुथरे री-यूज कपड़े भी बांटे गए। लेकिन, इस बार केवल नए कपड़े ही बांटे जाएंगे। इस बार देश व विश्व में कोविड-19 की महामारी फैली हुई है। ऐसे में गरीब-असहाय लोगों को री-यूज्ड कपड़े बांटना खतरे से कम नहीं होगा। इस बार भले ही कम लोगों को कपड़े बाटेंगे। लेकिन, कपड़े फ्रेस व नए ही होंगे।

साढ़े आठ हजार से ज्यादा लोगों को दे चुके हैं गर्म कपड़े
मैठाणी ने बताया कि यूथ आइकॉन (youth icon) क्रिएटिव फाउंडेशन (वाईआईसीएफएस) के तहत भिन्न-भिन्न कार्यों को संपादित करने के लिए अभियानों को अलग-अलग नाम दिए जाते हैं। उसी क्रम में गत चार वर्षों से ‘समौण इंसानियत की’ मुहिम सर्दियों में जरूरतमंद लोगों को गरम कपड़े बांटने के लिए शुरू की गई थी। इस मुहिम के तहत अभी तक साढ़े आठ हजार से ज्यादा लोगों को गरम कपड़े दिए जा चुके हैं। सर्दियों में रात को मलिन बस्तियों, अस्पतालों, निर्माणाधीन भवनों व सड़क के किनारे सो रहे जरूरतमंद लोगों को सर्दी से बचाने का प्रयास किया जाता है। प्रदेश के विभिन्न जनपदों में मुहिम ‘समौण इंसानियत की’ के तहत हर साल वे गरम कपड़े लेकर जाते हैं।

100-200 की मदद देकर से बन सकते हैं मुहिम का हिस्सा
मैठाणी कहते हैं कि सामाजिक अभियानों का शुभारंभ वह निजी संसाधनों से करते हैं। धीरे-धीरे इच्छुक लोग भी मुहिम का हिस्सा बनने के लिए आगे आते हैं। फिर सबके सहयोग से मुहिम विस्तार ले लेती है। लेकिन, इस बार की मुहिम महंगी होगी। इसमें हर कदम पर पैसे खर्च करने पड़ेंगे। क्योंकि इस बार री-यूज्ड के बजाय नए कपड़े खरीदकर बांटे जाने हैं। इस नाते सकारात्मक व रचनात्मक विचारों वाले लोगों से अपील की गई है कि यदि वह चाहें तो गरीबों की मदद की मुहिम का हिस्सा बन सकते हैं। महज 100-200 रुपए के खर्चे में लोग बाजार से अच्छे व सस्ते कपड़े हमें उपलब्ध करा सकते हैं।

छोटी बिटिया महज 7 साल की उम्र में अभियान से जुड़ी
शशि भूषण मैठाणी बताते हैं कि दोनों बेटियों की समाजसेवा में बढ़ती रुचि से वह बेहद खुश हैं। छोटी बेटी तो महज 7 साल की उम्र में ही अभियान से जुड़ गई थी। अब वह 12 साल की है, उसे 5 साल का अनुभव को चुका है। अच्छी बात यह है कि छोटी उम्र में ही उन्हें समाज व लोगों की समस्याओं की जानकारी हो रही है। मनस्विनी और यशस्विनी से बेहद प्रभावित हूं। अब तय किया कि अपने विभिन्न मुहिमों में से एक ‘समौण इंसानियत की’ मुहिम के संचालन का जिम्मा दोनों को सौंप दूंगा। भविष्य में केवल बेटियों को दिशा देने का काम करूंगा। मुझे यकीन हो गया कि दोनों आगे चलकर चाहे किसी संस्थान में चपरासी बने या बाबू या अधिकारी। दोनों अपने काम को बखूबी करेंगी। लेकिन, उसके ऊपर यह समाज के सामने एक अनुभवी, सभ्य , कर्तव्यनिष्ठ इंसान पहले होंगी।

कोविड19 लॉकडाउन में किया सराहनीय काम
कोविड-19 लॉकडाऊन (kovid-19 lock down) के दौरान भी मैठाणी परिवार देशभर में खासा चर्चित रहा। शशि भूषण मैठाणी ने मनस्विनी और यशस्विनी को मुहिम में शामिल कर 3 हजार 179 परिवारों को 67 दिनों में दस-दस किलो राशन उपलब्ध कराई थी। इस मुहिम को “समौण में कुट्यारी स्वाभिमान की” नाम दिया गया था। मुहिम की खास बात यह भी रही कि मैठाणी ने राशन वितरण में सोशल डिस्टेंसिंग का ऐसा फार्मूला निकाला, जिसने शासन-प्रशासन में बैठे नुमाइंदों को भी खासा प्रभावित किया। इन्होंने जरूरतमंद परिवार के व्यक्ति की डिटेल से डिजिटल कूपन बनाया, जो सिर्फ राशन विक्रेता और जरूरमंद के रजिस्टर्ड मोबाईल पर भेजा जाता था। कूपन दिखाने पर कोडिंग मिलान कर जरूरतमंद परिवार को आसानी से निःशुल्क राशन मिल रही थी। इससे वितरण में पारदर्शिता भी बनी रही। उक्त फार्मूले ने रुद्रप्रयाग के तत्कालीन जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल को खासा प्रभावित किया।उन्होंने शशि भूषण से पूरी जानकारी भी जुटाई। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने बाकायदा वीडियो संदेश जारी कर मैठाणी व उनकी समाजसेवी बेटियों की सराहना की थी।
अभियान से जुड़ने लिए करें संपर्क
शशि भूषण मैठाणी ‘पारस’
अभियान
रंगोली आंदोलन एक रचनात्मक मुहिम
‘समौण इंसानियत की’
9756838527, 7060215681
