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मेरे बस में होता तो तुझे इस बात पे राज़ी करता…

– राष्ट्रीय न्यास ने शनिवार आयोजित की काव्य गोष्ठी। कवियों ने बिखेरे काव्य के रंग। गोष्ठी की अध्यक्षता लघु कथाकार ननु नरेंद्र और संचालन कवि/गीतकार वीरेंद्र डंगवाल “पार्थ” ने किया।

शब्द रथ न्यूज, ब्यूरो (shabd rath news)। सेवासेतु राष्ट्रीय न्यास ने शनिवार को काव्य गोष्ठी आयोजित की। गोष्ठी में काव्य के विभिन्न रंग बिखरे। गोष्ठी की अध्यक्षता लघु कथाकार ननु नरेंद्र और संचालन कवि/गीतकार वीरेंद्र डंगवाल “पार्थ” ने किया।

वरिष्ठ कवि जीके पिपिल ने ग़ज़ल के माध्यम से कुछ इस तरह अपनी बात कही ‘मेरे बस में होता तो तुझे इस बात पर राजी करता, कुछ रोज मैं भी तेरे साथ मेहमान नवाजी करता’। ‘तेरे क़दमों में रख देता इश्क की सब दलीलों को, अपनी मुहब्बत के मुकदमें में तुझे काजी करता’। दूसरी ग़ज़ल में उन्होंने इस तरह कहा कि ‘उनकी ज़िंदगी में था ही क्या जिसे नज़र कर गये, दिया किसी को कुछ भी नहीं और ख़बर कर गये’।

कवि सुभाष वर्मा ने कटाक्ष करते हुए कहा कि वे इनका वे उनका चमन लूटते हसीन, वे फूलों से रोशन चमन कुत्ते हैं।

कवि/गीतकार वीरेंद्र डंगवाल पार्थ ने हिमालय पर सार छंद में कुछ इस तरह अपनी बात कही ‘भारत का है भाल हिमालय शिव शंकर का डेरा, जन्म मिला पावन धरती पर भाग अनूठा मेरा’। वहीं, नवगीत के माध्यम से पार्थ ने पढ़ा कि समय की धारा ने बदलाव किया है जीवन में, कुछ तो होगा ही किनारे नए परिसीमन में।

लघु कथाकार ननु नरेंद्र ने एक ही इच्छा,खून और ड्राइवर की तीन लागू कहानियां पढ़ी। उनकी मार्मिक व हास्य व्यंग की रचनाओं को खूब वाहवाही मिली। हिमानी ने भी शानदार रचना सुनाई।

सेवा सेतु राष्ट्रीय न्यास के संस्थापक पूरण चंद ने कहा कि कोरोना के कारण लंबे समय के आयोजन बंद थे। अब कुछ राहत के बाद काव्य गोष्ठी शुरू की गई। अब निरंतर काव्य गोष्ठियों का आयोजन किया जाएगा।

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