Sat. Nov 23rd, 2024

काव्य

मुंबई महाराष्ट्र से तारा पाठक की एक कविता… उचित है मैं केंचुआ हूँ.. कोशिश भी नहीं की बनूं संपोला

तारा पाठक वर्सोवा मुंबई, महाराष्ट्र ————————————– दूसरों के लिए —————————– उचित है मैं केंचुआ हूँ।…

डॉ अजय सेमल्टी की बहुत कुछ समझाती दो कविताएं…. शंकर माथा पकड़े बैठे.. भागीरथ भी प्यासा है

डॉ अजय सेमल्टी गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर गढ़वाल —————————————————- भागीरथ भी प्यासा है…….. शंकर माथा पकड़े…

कवि जसवीर सिंह हलधर की एक ग़ज़ल, खलिहान ही उजड़े मिले, महकी मिलीं सब मंडियां..

जसवीर सिंह ‘हलधर’ देहरादून, उत्तराखंड —————————————- ग़ज़ल (हिंदी) —————————— राही सभी थक कर गिरे, चलती…

कवि जसवीर सिंह हलधर की शानदार ग़ज़ल.. कौम से मौका परस्ती ठीक है क्या सोच ले..

जसवीर सिंह ‘हलधर’ देहरादून, उत्तराखंड ———————————————- ग़ज़ल ( हिंदी) ———————————- कौम से मौका परस्ती ठीक…

तारा पाठक की एक रचना.. दखल अंदाजी प्रकृति से मौसम हुआ भुलक्कड़

तारा पाठक वर्सोवा, मुंबई, महाराष्ट्र ——————————————– प्रकृति से छेड़खानी का नतीजा ———————————————— दखलअंदाजी प्रकृति से…