Wed. May 28th, 2025

literature

मैं पुष्प बनना चाहता हूं, मैं प्रकृति के रंगों में रंगना चाहता हूं..

अमित नैथाणी ‘मिट्ठू’ अनभिज्ञ ऋषिकेश, उत्तराखंड ———————————————– मैं पुष्प बनना चाहता हूं ————————————— मैं पुष्प…

अबोध हूँ , अनभिज्ञ हूँ .. संसार के रीति-रिवाजों से जकड़ा हूँ..

अमित नैथाणी ‘मिट्ठू’ ऋषिकेश, उत्तराखण्ड ————————————— मैं आनन्दित हो गया हूँ अबोध हूँ , अनभिज्ञ…

अमित नैथानी ‘मिट्ठू’ की गढ़वाली कविता.. उजड़दी कूड़ी की खैरी

अमित नैथानी ‘मिट्ठू’ ऋषिकेश, उत्तराखंड ——————————————- उजड़दी कूड़ी की खैरी ——————————————– हे रे परदेशु जन्दरौं…

भैया तुम सरहद पर रहकर तम दूर करो, मैं खुद की रक्षा का व्रत आज उठाउंगी..

जसवीर सिंह हलधर कवि/शाइर देहरादून, उत्तराखण्ड ————————————— गीत -भैया दूज —————————– भैया तुम सरहद पर…

देहरी में दीप हैं आंगन में दीप आई निशा, निशा के संग में प्रदीप..

वीरेन्द्र डंगवाल पार्थ कवि/पत्रकार देहरादून, उत्तराखण्ड वॉट्सएप – 9412937280 ———————————————- देहरी में दीप हैं आंगन…