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मिर्जा ग़ालिब पुण्यतिथि पर विशेष, कवि जसवीर सिंह हलधर की एक ग़ज़ल

जसवीर सिंह हलधर
देहरादून, उत्तराखंड
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ग़ज़ल( हिंदी)
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(मिर्जा ग़ालिब पुण्य तिथि)

सियासत की जमातों से खुली तकरार है मेरी।
लहू मेरा सियाही है कलम तलवार है मेरी।

अदीबों की विरासत को बचाना काम शाइर का,
वही इकरार है मेरा वही मनुहार है मेरी।

पुजारी और मुल्ला अब पुराना जायका बदलो,
तिरंगा हार है मेरा वही दस्तार है मेरी।

अमीरी गर गरीबी को मिटाने की कसम खाये,
वही सरकार है मेरी यही दरकार है मेरी।

सही मतदान करना भी जरूरी देश के हित में,
यही आसार है मेरा यही हुंकार है मेरी।

निगाहें डाल कर देखो जरा सा देश पर यारों,
उगे है खार संसद में यही आज़ार है मेरी।

हमारा काम सच को सच बताना है जमाने को,
यही इज़हार “हलधर” का यही ललकार है मेरी।।

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