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प्रेम के रंगों से सराबोर रही गोष्ठी… उसे खत लिख लूं तो भी, दो बार सोचता हूं..

-राष्ट्रीय सेवा सेतु न्यास ने किया गोष्ठी का आयोजन

देहरादून। राष्ट्रीय सेवा सेतु न्यास (rashtriya sewa Setu nyas) की काव्य गोष्ठी (kavy goshthi) प्रेम, भक्ति और देशभक्ति के रंगों से सराबोर रही। सेवा सेतु के लूनिया मोहल्ले स्थित कार्यालय सभागार में आयोजित गोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार शैलेन्द्र चांदना और संचालन कवि/शाइर जीके पिपिल ने किया।


गोष्ठी का शुभारंभ जीके पिपिल (gk pupil) के काव्य पाठ से हुआ। उन्होंने पढ़ा कि, ‘तलवार की धार पर चले और लहूलुहान हो गये, ज़ख्मी हुये तो क्या कामयाबी के निशान हो गए, जरूरी नहीं कि ताज ख़ानदानी रिवायत से मिले, कुछ लोग अपने बलबूते से भी सुल्तान हो गये’
उन्होंने ग़ज़ल पढ़ते हुए कुछ यूं कहा कि ‘करनी ही है तो परमात्मा से आस कर, बस अपने विश्वास पर ही विश्वास कर, खुशी में खुश होने वाले तो होंगे लाखों, जो दुख में दुखी हों उनकी तलाश कर’। एक शेर कुछ यूं पढ़ा ‘ बाहरी उजाले से ना बनेगी बात, उसे पाना है तो दिल मे प्रकाश कर’।

गोष्ठी के अध्यक्ष शैलेन्द्र चांदना (Shailendra Chandna) ने कुछ इस अंदाज में अपनी बात कही कि ‘मौका कोई भी हो, बोलने से पहले, दो बार सोचता हूं…उसे खत लिख लूं तो भी, डाक के हवाले करने से पहले, दो बार सोचता हूं…’रही बात मुहब्बत के इजहार की, तो वो करने से पहले, मैं एक बार भी नहीं सोचता’। उम्र के तीसरे पहर को चांदना ने कुछ यूं बयां किया ‘उम्र के तीसरे प्रहर में, रुपहली धूप में बैठे हुए, किताब पढ़ना अच्छा लगता है’।

वीरेन्द्र डंगवाल “पार्थ” (virendra dangwal parth)ने गज़ल पढ़ते हुए प्रेम पर कुछ इस तरह पढ़ा कि ‘तेरी यादों का समंदर विशाल होता है, घेर लेता है तम तब मशाल होता है’। आगे कुछ यूं पढ़ा कि ‘प्रीत की पंखुड़ियां कब से हुई फागुन है, देखना ये है कि वो कब गुलाल होता है’। पार्थ ने प्रेम पर माहिया भी सुनाए। कुछ इस तरह ‘चंदा उजियारे हो, दूरी बहुत लेकिन, चातक के प्यारे हो’ और ‘चंदा जब से देखा, हम तो दिल हारे, तुम ही जीवन रेखा’।


सुभाष वर्मा (Subhash varma) ने मां भारती का गान करते हुए कहा कि ‘ धर्मों के उत्सव में कर्मों की आरती, ऋषियों की तपोभूमि, अपनी मां भारती, मन में उमंग भरे गीता का ज्ञान यहां, संस्कृति महान सद्भाव को उभारती’।
गोष्ठी राष्ट्रीय सेवा सेतु न्यास के संस्थापक पूरण चंद (Puran Chand) जी के संयोजन में हुई।

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