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उत्तराखंड का लोक पर्व हरेला, अब राष्ट्रीय पर्व की ओर … डॉ राजेश्वर उनियाल

डॉ राजेश्वर उनियाल
मुंबई, महाराष्ट्र
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बंधुओ, उत्तराखंड प्रकृति प्रेमी एक हिमालयन पहाड़ी प्रदेश है। यहां वनों को देवता मानकर उनकी पूजा की जाती है, इसीलिए यहां हरेला त्यौहार की विशेष प्रथा रही है। हरेला अर्थात हरियाली का त्यौहार। यह सामान्यतः वर्ष में 3 बार मनाया जाता है, जिनमें एक चैत्र नवरात्रि, दूसरा शारदीय नवरात्रि और तीसरा सावन की संक्रांति है।

हरियाली पूजने के लिए विशेष विधि है, इसमें पहले दिन जौ, तुलसी व अन्य बीजों को अंकुरित करने के लिए बोया जाता है। नौ दिन तक उनकी देखभाल करके, दसवें दिन उन पौधों को रोपा जाता है, इसीलिए यह त्यौहार श्रावण संक्रांति से दस दिन पहले प्रारंभ किया जाता है।

यह मुख्यत: महिलाओं का त्यौहार होता है, इसीलिए इसे महिलाओं द्वारा ही सम्पन्न किए जाने की प्रथा रही है। हालांकि, हम 5 जून को पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य में भी पौधरोपण करते हैं। लेकिन, यह बात विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि जून मास में भयंकर गर्मी के समय, जब पीने के पानी का अभाव होता है, पौधों को सींचने के लिए पानी कहां से मिलेगा। इसलिए उत्तराखंडी इस त्यौहार को सावन मास में मनाते हैं।

अभी तक यह प्रथा उत्तराखंड के ग्रामीण अंचलों में प्रचलित थी। लेकिन, सामाजिक संचार माध्यमों के बढ़ने से इसका प्रचार-प्रसार होता रहा और सबसे पहले जो प्रवासी उत्तराखंडी हैं, वे जहां भी रहते हैं, हरेला को सार्वजनिक रूप देते गए।
मुंबई के प्रवासी उत्तराखंडियों ने 2 वर्ष पहले महाराष्ट्र के तत्कालीन राज्यमंत्री आदरणीय अमरजीत मिश्रा के मार्गदर्शन व विशेष सहयोग से इस त्यौहार का मुंबई की सुप्रसिद्ध फिल्म सिटी में भव्य आयोजन किया था। इसको फिल्म सिटी में आयोजित करने का विशेष उद्देश्य, इस पर्व को व्यापक प्रचार-प्रसार देना था ताकि इसे समाज के अन्य लोग भी अपना सकें। हालांकि हम गत वर्ष कोरोना के प्रभाव के कारण हम इसे भव्य रूप से आयोजित नहीं कर सके, परंतु इस वर्ष भारत विकास परिषद कोकण प्रांत के अध्यक्ष महेश शर्मा, पूर्व राज्यमंत्री अमरजीत मिश्रा व भाजपा उत्तराखंड प्रकोष्ठ, मुंबई के अध्यक्ष महेंद्र सिंह गुसाईं आदि के विशेष प्रयासों से महाराष्ट्र के राजभवन में हरेला पर्व का आयोजन किया गया।

यह प्रसन्नता की बात है कि महाराष्ट्र के माननीय राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने अपने कर कमलों से तुलसी का पौधा रोपकर, इसका श्रीगणेश किया। हमें आशा है कि भविष्य में उत्तराखंड का लोकपर्व हरेला, राष्ट्रीय पर्व के रूप में भारत के विभिन्न अंचलों में सार्वजनिक रूप से पौधरोपण कर आयोजित किया जाता रहेगा।

हरेला की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ ..

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