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त्रिवेंद्र सिंह रावत के समय लागू भू-कानून से भूमि, जल व जंगल बचाने का संकट

-भू-कानून बदलाव को लेकर जनसंगठनों के प्रतिनिधियों की हुई बैठक।

शब्द रथ न्यूज, ब्यूरो (shabd rath news)। भू-कानून बदलाव को लेकर जनसंगठनों के प्रतिनिधियों की बैठक में वक्ताओं ने कहा कि त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्यकाल के समय उत्तराखंड में लागू भू-कानून से कृषि भूमि तो खत्म हुई ही है़, साथ ही जल, जंगल को बचाने का संकट पैदा हो गया है़।

वक्ताओं ने कहा उत्तराखण्ड राज्य बनने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत के शासनकाल में भू-कानून में बदलाव कर पूरी दुनिया के लिए उत्तराखंड में विशेषकर पहाड़ों पर भूमि खरीदने की जो छूट दी गई, उससे आमजन में रोष है़।

वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी व महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष सुशीला बलूनी, पीडी गुप्ता आदि ने कहा कि अलग राज्य के लिए हमने इसलिए संघर्ष और शहादतें नहीं दी कि की ये भूमाफियों की सैरगाह बन जाय। हमें हिमाचल की तर्ज पर भू-क़ानून की जरूरत है।

बैठक में प्रदीप कुकरेती व दिनेश भण्डारी ने सरकार से मांग की है़ कि भू कानून में तत्काल सुधार किया जाय, अन्यथा आमजन सड़कों पर आने को विवश होंगे।

बैठक में तय किया गया जल्द ही नवनियुक्त मुख्यमंत्री से मुलाकात कर उन्हें संयुक्त ज्ञापन सौंपा जायेगा। बैठक में ब्रि.केजी बहल, प्रसिद्ध नेत्र चिकितसक डॉ बीके ओली, पेंसनर्स संगठन के पीडी गुप्ता, उत्तराखंड अगेंस्ट करप्शन के सुशील सैनी, रेजीडेंट वेलफेयर एसोसियेशन के डा. महेश भण्डारी, अपना परिवार के अध्यक्ष पुरुषोत्तम भट्ट, समाजसेवी ज्योतिष घिल्डियाल, स्वतंत्रता सेनानी उत्तराधिकारी संगठन के पूर्व जिला अध्यक्ष सुशील त्यागी आदि जनप्रतिनिधियों ने भी विचार रखे। इस प्रयास में शामिल न होने वाले अन्य संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने भी भू-कानून मे बदलाव के संबंध में समर्थन अभिव्यक्त किया।

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