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परवाज-ए-अमन ने साहित्यकार वीरेन्द्र डंगवाल “पार्थ” को किया सम्मानित

उत्तराखंड राज्य स्थापना दिवस व उर्दू दिवस के उपलक्ष्य में साहित्यिक व सामाजिक संस्था परवाज-ए-अमन के तत्वावधान में आयोजित किया गया कार्यक्रम। संस्था की अध्यक्ष अंबिका सिंह रूही की ओर  से किए शानदार आयोजन में बिखरे काव्य के रंग। महफिल में हिंदी-उर्दू की उत्कृष्ट रचनाओं का हुआ पाठ।

शब्द रथ न्यूज (ब्यूरो) । उत्तराखंड राज्य स्थापना दिवस व उर्दू दिवस के उपलक्ष्य में साहित्यिक व सामाजिक संस्था परवाज-ए-अमन के तत्वावधान में नशिस्त व काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें कवि व शायरों ने अपनी रचनाएं व कलाम सुनाकर खूब वाहवाही लूटी और तालियां बटोरी। कार्यक्रम का शुभारंभ अंबिका सिंह रूही, मीरा नवेली, ममता डंगवाल, प्रियंका व जोया आदि ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया।

संस्था की अध्यक्ष अंबिका सिंह रूही के आवास ओल्ड मसूरी रोड पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि कवि/गीतकार वीरेंद्र डंगवाल “पार्थ” और उनकी धर्मपत्नी ममता डंगवाल को उनके काव्य संग्रह “मीता” के लिए शाल ओढ़ाकर व स्मृति चिह्न देकर फूल मालाओं से सम्मानित किया गया।

इस मौके पर अंबिका सिंह रूही ने कहा कि वीरेन्द्र डंगवाल “पार्थ” के काव्य संग्रह ‘मीता’ में कविता, मुक्त छंद के गीत, कहमुकरी, माहिया, मुक्तक, दोहे, त्रिवेणी के साथ ही छन्दबद्ध गीत आदि विधाओं को गुलदस्ते के रूप में पिरोया गया है। एक ही संग्रह में काव्य की इतनी सारी विधाएं पाठकों को पढ़ने के लिए मिलेंगी। निश्चय ही इस काव्य संग्रह को पाठक पसंद करेंगे और साहित्य जगत के लिए संग्रह प्रेरणा दायक साबित होगा।

सम्मान कार्यक्रम के बाद काव्य गोष्ठी में कवि/शाईरों ने काव्य के रंग बिखेरे। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही शायरा मीरा नवेली ने पढ़ा कि ‘मुकर जाना तुम चाहे अपनी जबां से, नहीं जायेंगे हम तेरे आस्तां से’ तो वरिष्ठ वरिष्ठ शायरा व आयोजक अंबिका सिंह रूही ने पढ़ा ‘कहकशां तक तलाशेंगे जाकर उसे, ये खुशी हमसे बचकर किधर जायेगी’ सुनाकर खूब वाहवाही बटोरी। वहीं, वीरेंद्र डंगवाल ‘पार्थ’ ने ‘आंखों में सूरत तेरी दिनमान रखता हूं, बस इसी दौलत से मैं पहचान रखता हूं’ सुनाकर तालियां बटोरी।

संचालन कर रहे परमवीर कौशिक ने पढ़ा ‘आंसू खून के रोये हमने मुस्कुराने में, अमजद खान अमजद ने ‘तन के गोरे मन के काले लगते हैं, मेरे सारे यार निराले लगते हैं’ सुनाकर प्रशंसा बटोरी। इसके साथ ही जीके पिपिल ने ‘कोई आंख में आंसू देख ना ले पलकों को झुकाये बैठे हैं, हम आज भी तेरी यादों को इस दिल में छुपाये बैठे हैं’।

युवा शायर एएस शाह ने ‘तुझी से मांगता है दिल ये दिल तेरा भिकारी है, बड़ी उम्मीद से झोली तेरे आगे पसारी है, तसनीमा कौसर ने ‘सिलसिला कल जो था आज भी है, वो ही जुल्म होता है जरदार का, कमाल तकी ने ‘जो तूने ढाए हैं पा इंतजाम के साथ तेरे सितम का मुकम्मल हिसाब रखूंगा’, शाइस्ता जोया ने ‘वो गया तो हवा का रुख ही बदल गया, इक शख्स सारे शहर को वीरान कर गया’ सुनाकर गोष्ठी को ऊंचाइयां दी।

इस मौके पर लल्लन भाई, संदीप तिमनी, कुमुद तिमनी, प्रियंका आदि शामिल रहे।

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