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वाजा इंडिया की परिचर्चा ने बढ़ाई महिलाओं की जिम्मेदारी: प्रो बीना शर्मा

राइटर्स एंड जर्नलिस्ट एसोसिएशन
(वाजा इंडिया) के संरक्षण में नई पीढ़ी व सूत्रधार की ओर से आयोजित की गई ऑनलाइन परिचर्चा

शब्द रथ न्यूज (ब्यूरो) (shabd rath news)। ‘नई पीढ़ी के नव निर्माण में महिलाओं की भूमिका’ जैसे गंभीर विषय पर वाजा इंडिया की परिचर्चा ने महिलाओं के कंधों पर बड़ी जिम्मेदारी दे दी है। यह बात केंद्रीय हिंदी संस्थान आगरा की निदेशक प्रो बीना शर्मा ने राइटर्स एंड जर्नलिस्ट एसोसिएशन के संरक्षण में नई पीढ़ी व सूत्रधार की ओर से आयोजित ऑनलाइन परिचर्चा में कही। उन्होंने कहा कि ‘वाजा इंडिया के संस्थापक महासचिव व नई पीढ़ी के संपादक शिवेंन्द्र प्रकाश द्विवेदी ने बताया कि दिल्ली, मुंबई, कोलकाता व विशाखापट्टनम के बाद यह पांचवीं परिचर्चा है, परिचर्चा आगे भी जारी रहनी है’ यह बहुत ही सराहनीय है। उन्होंने कहा कि उक्त गंभीर विषय पर चर्चा होगी तो निश्चय ही जागरुकता आएगी।

प्रो बीना शर्मा ने कहा कि परिवार में मां, पति व संतान के बीच पुल बनती है। नई पीढ़ी को आत्मविश्वास बनाने के लिए जिन संस्कारों की आवश्यकता है, वह मां ही दे सकती है।

एक गंभीर सवाल करते हुए कहा कि मां को पूजने के लिए हम वैष्णों देवी जाते हैं तो फिर मां को वृद्ध आश्रम में क्यों छोड़ आते हैं? निश्चित रूप से परवरिश में कहीं खोट रही होगी? यह बड़ा सवाल है, जिस पर सभी को परिचर्चा करनी है। वर्तमान में मानवीय रिश्ते तार-तार हो रहे हैं, बच्चा घर से ही चोरी करना सीखता है, पापा घर पर नहीं है, यह झूठ बच्चे को हम ही सिखाते हैं। ऐसे में हम सारा दोष नई पीढ़ी पर नहीं डाल सकते। बच्चा गाली देता है तो हमने क्यों नहीं सिखाया कि बेटा मां तो मां होती है, मां को गाली नहीं देते, वह किसी की भी मां हो। उन्होंने कहा कि साहित्यकारों ने हमें बहुत कुछ दिया है, उसे पढ़कर परीक्षा में पास नहीं होना है, बल्कि वह जीवन में उतारने के लिए है।

जीवन में निरंतरता आवश्यक

विशेष आमंत्रित वक्ता के रूप में बेंगलुरु की प्रतिष्ठित त्रिमूर्ति ग्रुप आफ कंपनीज की डायरेक्टर एकता चंदन ने कहा कि नई पीढ़ी के नव निर्माण में महिलाओं की भूमिका बहुत अहम है। रुका हुआ पानी सड़ जाता है, इसलिए उसमें प्रवाह बना रहना चाहिए, जीवन भी ऐसा ही है उसमें भी निरंतरता बहुत आवश्यक है।

खाना बनाते समय सात्विक विचार होना जरूरी

हरियाणा के गुरुग्राम से बीना राघव ने कहा कि जैसा अन्न होता है, वैसा ही मन होता है। मन से ही संस्कार रोपित होते हैं, ऐसे हमें खाना बनाते समय सात्विक विचार धारण करना चाहिए। कामवाली जो खाना बनाती है वह जिस मानसिकता से खाना बनाती है वह भावना अन्न में जरूर आती है।

बापू तू तो बड़ा हानिकारक है, जैसी मानसिकता रोकनी होगी

ओडिशा के कटक से रिमझिम झा ने कहा कि 10 चैनल सुनती तो भी इतना ज्ञान न मिलता जितना कि वाजा इंडिया की इस परिचर्चा में मिला है। मैं शिवेंद्र प्रकाश द्विवेदी जी को बधाई देती हूं कि उन्होंने एक सार्थक मुहिम चलाई और देश के तमाम हिस्सों में ले जाकर इसे आंदोलन का स्वरूप दे दिया है। मुझे पूरा विश्वास है कि यह कोई पानी का बुलबुला नहीं, बल्कि एक मजबूत मुहिम है, जिस से जुड़कर मुझे खुशी की अनुभूति हुई है। विपदाएं आएंगी डरिए मत, हवा का वेग गुजर जाने दीजिए फिर अपना वक्त आएगा।

उन्होंने कहा कि जो तस्वीर पहले थी ‘तुम्हीं मेरे मंदिर तुम्हीं मेरी पूजा’ उस तस्वीर को फेविकोल से चिपकाने की जरूरत क्यों पड़ रही है? मैं अपने परिवार में इस बात की इजाजत नहीं दूंगी। उन्होंने कहा कि महिलाओं को अपने परिवार को लेकर एकला चलो रे की भूमिका निभानी होगी। शाम के 7 बजे के बाद लड़की बाहर है तो चिंता होती है, उतना ही चिंता लड़कों के लिए भी होनी चाहिए। उन्होंने कहा एक समय था जब गाना आता था मेरा नाम करेगा रोशन.. फिर आया पापा कहते हैं बड़ा नाम करेगा…फिर अब चल रहा है बापू तू तो बड़ा हानिकारक है। यह सब हमें रोकना होगा।

शिक्षा, संस्कार व स्वास्थ्य.., इनका रखे ख्याल

हैदराबाद की प्रतिष्ठित डाइटिशियन अंकिता गुप्ता ने कहा कि मानव जाति के क्रम को आगे बढ़ाने के लिए ईश्वर ने महिलाओं को चुना है। महिलाओं को नई पीढ़ी में तीन चीजों का खास ख्याल रखना चाहिए, शिक्षा संस्कार व स्वास्थ्य। इसके लिए महिला सशक्तिकरण बेहद जरूरी है।
कार्यक्रम का सफल संचालन करते हुये सरिता सुराणा ने कहा कि आजकल मां बच्चों को आया के भरोसे छोड़ देती हैं, तो बच्चों को संस्कार भी आया से ही मिलेगा। ऐसे में जरूरी है मां बच्चे पर स्वयं ध्यान दें। कार्यक्रम के समापन पर संगीता शर्मा ने सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया।

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