गीत-कविताओं ने बाँधा समा, संस्मरण लघु कथाओं ने गुदगुदाया
देहरादून, 20 जुलाई: राइटर्स एंड जर्नलिस्ट एसोसिएशन (वाजा इंडिया) की उत्तराखंड इकाई की शनिवार को आयोजित काव्य गोष्ठी में कवियों की गीत-कविताओं ने समा बांध दिया। वहीँ, प्रतिभा नैथानी के संस्मरण और नरेंद्र उनियाल की लघुकथाओं ने खूब गुदगुदाया। गोष्ठी तस्मिया अकेडमी इंदर रोड देहरादून में हुई।
गोष्ठी की शुरूआत वाजा इंडिया महिला इकाई की सचिव कविता बिष्ट ने सरस्वती वंदना से की। डॉ डीएन भटकोटी ने प्रेम की गहराई बताती हुई रचना का पाठ किया। उन्होंने पढ़ा कि ‘मौन में कुलबुलाये मिलन का लघु गीत, बज रहा घमनियों में प्रीत का संगीत’। वहीँ, एसोसिएशन के प्रदेश महामन्त्री वीरेन्द्र डंगवाल “पार्थ” ने उम्र के साथ जीवन में होते बदलाव को बयां किया। वो कहते हैं कि ‘समय की धारा ने बदलाव किया है जीवन में, कुछ तो होगा ही किनारे नए परिसीमन में’। सावित्री काला सवि ने ‘नदियों का सन्देश आया है पर्वत के नाम’ सुनाकर पहाड़ों की व्यथा कही तो डॉ नीलम प्रभा वर्मा ने सावन पर पिया की बात कही कि’ओस से भीगी पलकें उठाऊं या कि गाउँ प्रिय का बुलावा आया है’, कविता बिष्ट ने प्रेम की बात कुछ इस तरह की’दिल ने आँखों की गहराई तक जाकर, पढ़ ली किताब प्रेम की’ तो दीपशिखा गुसाईं ने माँ और मोबाइल पर बात रखी कि ‘माँ तू कितना बदल गई है’। ओज के कवि जसवीर सिंह हलधर ने अपनी बात कुछ इस तरह कही कि ‘कूप अब पाताल में गरके हुए हैं, गीत बोलो क्या सुनाऊँ लोग पत्थर के हुए हैं।
पहाड़ की जीती कांता घिल्डियाल ने पहाड़ को इस तरह बयां किया कि ‘पहाड़ गहरे मौन में, नारी स्वरों की मिलीजुली धुन संग दोहराता है’ तो आभा सक्सेना दूनवी ने भारत के महान गीतकार स्व नीरज को याद करते हुए पढ़ा कि ‘बहुत ही याद आएंगे तुम्हारे गीत अब नीरज’। युवा कवियित्री पल्लवी रस्तोगी ने ‘इस जीवन के पल हैं चार, चार ये पल जी सौ-सौ बार और डिम्पल सानन ने ‘ऊँची इमारतों की ऊंचाई से कई ऊँचा आसमान हूँ मैं’ सुनाकर वाहवाही लूटी। प्रतिभा नैथानी ने जुगनू पर संस्मरण सुनाते हुए पढ़ा कि ‘हमारा बचपन जुगनुओं की चमक और तितली के पंखों के रंग में रंगा बचपन था’ तो युवा कवि अवनीश मलासी ने घनाक्षरी और नरेंद्र उनियाल ने दो लघु कथाओं का वाचन किया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राष्ट्रीय सेवासेतु न्यास के संस्थापक पूरण चंद ने कहा कि कविता अपनी बात कहने का सशक्त माध्यम है। कवि जन की पीड़ा, राष्ट्रहित और राष्ट्रभक्ति की बात करता है तो उसे जनता का असीम प्रेम मिलता है। जो कविता देश और समाज को दिशा देती है वह रचना श्रेष्ठ होती है। गोष्ठी की अध्यक्षता डॉ डीएन भटकोटी और संचालन वीरेन्द्र डंगवाल “पार्थ” ने किया। इस अवसर पर मनीष नैथानी, मुकेश चन्द रमोला आदि मौजूद थे।