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फूलदेई पर बच्चों ने राजभवन व मुख्यमंत्री आवास में की पुष्प वर्षा

-राज्यपाल, मुख्यमंत्री व पूर्व मुख्यमंत्री की देहरियों से हुई बाल पर्व की शुरूआत, माननीयों ने परम्परानुसार चावल और गेहूं किए भेंट।

-मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत व राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने 17 वर्षों से लगातार रंगोली आंदोलन की फूलदेई संरक्षण की मुहिम को सराहा

-प्रकृति से जुड़ा सामाजिक, सांस्कृतिक व लोक-पारंपरिक त्योहार, जो एक अनूठी पर्वतीय संस्कृति की त्रिवेणी ‘फूल-फूल माई’/‘फूल देई’ त्यौहार के संरक्षण व संवर्धन में समाजसेवी शशि भूषण मैठाणी चला रहे विगत 17 वर्षों से अनूठी मुहिम। मैठाणी पांच राज्यों में दे चुके हैं फूलदेई को खास पहचान

शब्द रथ न्यूज (ब्यूरो)। फूलदेई पर्व पर रंगोली मुहिम के तहत बच्चों की टोली ने राज्यपाल बेबी रानी मौर्य, मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत और पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की देहरी पर पुष्प वर्षा की। बच्चों के इस पावन पर्व पर उक्त सभी महानुभावों ने अपने द्वार पर बच्चों का स्वागत किया और उपहार भेंट किए।

पर्वतीय अंचलों में फूल-फूल माई/ फूल देई त्यौहार मानव व प्रकृति के पारस्परिक संबंधों का ऋतु पर्व है । बीते वर्षों की भांति एक बार भी फूलदेई के पर राजधानी देहारादून में शशि भूषण मैठाणी द्वारा बीते सत्रह वर्षों से जारी ‘रंगोली आंदोलन’ की रचनात्मक मुहिम के तहत नौनिहालों ने हर्षोल्लास के साथ मनाया।

राज्यपाल ने किया अपने द्वार पर नौनिहालों का स्वागत

बच्चों की सामूहिक टोली सबसे पहले राज्यपाल के द्वार पर पहुंची। राजभवन के द्वार पर एक साथ मिलकर रंग बिरंगे फूलों की बरसात की । राज्यपाल पर्वतीय परंपरानुसार तय वक़्त पर अपने द्वार पर बच्चों के स्वागत के लिए खड़ी थीं। इस बीच सभी बच्चे द्वार पर फूल बरसाते हुए ‘फूल-फूल माई दाल द्ये चावल द्ये खूब खूब खाजा’ गाते रहे। परम्परानुसार बच्चे यह तब तक गाते हैं, जब तक उन्हें गृह स्वामी की ओर से उपहार स्वरूप कुछ भेंट मे नहीं मिल जाता है।

आज फूलदेई पर्व पर रंगोली आन्दोलन के तत्वावधान में देहरादून के अलग-अलग हिस्सों से आए 25 नौनिहालों ने राज्यपाल, मुख्यमंत्री एवं पूर्व मुख्यमंत्री की देहरी पर फूल वर्षाकर पर्व का शुभारम्भ किया।

मुख्यमंत्री की देहरी पर बरसाए फूल

मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने भी मुहिम की सराहना की। मुख्यमंत्री स्वयं बच्चों के स्वागत के लिए अपने द्वार पर खड़े थे। उन्होंने परम्परानुसार बच्चों को अपने हाथ से एक-एक मुट्ठी चावल व गेहूं भेंट में दिया। नौनिहालों को गिफ्ट पैकेट भी दिए । मुख्यमंत्री ने कहा कि इस भव्य संस्कृति को बचाया जाना बहुत जरुरी है। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने रंगोली आंदोलन एवं यूथ आइकॉन क्रिएटिव फाउंडेशन के संस्थापक शशि भूषण मैठाणी के द्वारा लगातार कई वर्षों से किए जा रहे प्रयासों की सराहना भी की । मुख्यमंत्री ने कहा कि मैठाणी की इस मुहिम को डेढ़ दशक से अधिक का समय बीत गया, अब उसके परिणाम भी दिखने लगे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि रंगोली आंदोलन की रचनात्मक मुहिम का ही नतीजा है कि जो अब उत्तराखंड का यह खूबसूरत बालपर्व देश के अन्य प्रांतों के अलावा विदेशों में दस्तक दे रहा है।

पूर्व मुख्यमंत्री के आवास पर पहुंचे बच्चे

फूलदेई पर्व मनाने निकली नौनिहालों की टीम ने मुख्यमंत्री आवास व राजभवन के बाद पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के आवास पर गई और उनकी देहरी पर पुष्प बरसाए। पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत भी बच्चों के स्वागत में पहले से ही अपनी देहरी पर खड़े थे। रावत ने परम्परानुसार बच्चों को उपहार भेंट किये।

माननीयों की देहरी के बाद आम घरों में भी बरसाए फूल

राजभवन और मुख्यमंत्री आवास के बाद बच्चों की अलग-अलग टोली कर्जन रोड , सर्कुलर रोड, बलबीर रोड, धर्मपुर , करगी, पटेलनगर , गढ़ी कैंट आदि क्षेत्रों ई उन घरों में गए जहां नौनिहालों को आमंत्रित किया गया था। इस अवसर पर आचार्य विपिन जोशी बच्चों की टीम का नेतृत्व करते हुए उन्हें दिशा-निर्देश देते रहे।

प्रवासी बढ़-चढ़कर मनाने बाल पर्व

आयोजक शशि भूषण मैठाणी ने बताया कि गोपेश्वर से शुरू हुई फूलदेई संरक्षण की उनकी इस मुहिम ने 17 वर्ष पूरे कर लिए हैं और आगे भी जारी रहेगी। देहरादून में 7 वर्ष पूर्व राज्यपाल और मुख्यमंत्री आवास से इस पर्व को मनाने की शुरुआत की गई थी, तब शुरुआत थी काफी दिक्कतें होती थी , लेकिन अब इस खूबसूरत पर्व को लेकर क्या आम और क्या खास सभी में जबर्दस्त उत्साह देखने को मिल रहा है। सबका समर्थन मिलने लगा है। आगामी वर्षों में और अधिक व्यापकता दी जाएगी प्रत्येक मौहल्ले मे अलग-अलग टोली बनाकर बच्चों को घर-घर भेजा जाएगा। मैठाणी ने कहा कि मेरा संकल्प है कि मनुष्य और पर्यावरण से जुड़े खूबसूरत फूलदेई पर्व को राष्ट्रीय अंतराष्ट्रीय स्तर पर हर धर्म/जाति वर्ग के बीच स्थापित करना। अब वह दिन दूर नहीं जब ऐसा करने में सफलता मिलेगी। आज हिंदुस्तान के पांच राज्यों में फूलदेई स्थापित करने में सफलता मिल चुकी है । प्रवासी लोग भी बढ़-चढ़कर मनाने लगे हैं।

उन्होंने बताया कि इस बार कोरोना संक्रमण के चलते महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात, उत्तर प्रदेश के फूलदेई कार्यक्रम स्थगित किये गए। जबकि, दिल्ली में आयोजन हो रहा है जिसमें वह देहरादून के बाद स्वयं प्रतिभाग करने जा रहे हैं ।

फूलदेई पर हो सार्वजनिक अवकाश

मुख्यमंत्री व राज्यपाल को दिए ज्ञापन के मार्फत समाजसेवी शशि भूषण मैठाणी ने पूर्व के वर्षों की भांति पुनः मांग की है कि उनकी इस मुहिम के बाद कई संगठन भी इसके संरक्षण व संबर्धन के काम मे आगे आएंगे। लेकिन, सरकार आग्रह है कि किसी भी आयोजक स्वयं सेवी संस्थावों या बच्चों की टोली को कभी भी रुपया/ पैसा भेंट या आर्थिक मदद के तौर पर न दिया जाए। ऐसा करने से फिर यह मुहिम भी सिर्फ धन जुटाने का माध्यम बनकर रह जाएगी। मैठाणी ने कहा कि रंगोली आंदोलन उनकी एक सोच है, जिसमें उन्हें हर तबके का साथ मिल रहा है। उन्होंने कहा कि रंगोली आंदोलन कोई एनजीओ या संगठन नहीं है, बल्कि यह आम लोगों के सहयोग से बनाया गया एक जनचेतना समूह है। आज के आयोजन पर मेरा महज 2200/- सौ रुपया खर्चा हुआ।फूलदेई संरक्षण के लिए मुझे सरकार या किसी प्रायोजक संस्था की मदद की जरूरत नहीं होगी। जिस तरह हम होली दिवाली स्वयं के संसाधनों से मनाते हैं, इसी तरह यह पर्व भी मनाया जाना चाहिए। यह रुपए से नहीं बल्कि भावनाओं से संरक्षित होगा ।

राज्य के सभी स्कूलों में मनाया जाय फूलदेई

मैठाणी ने सुझाव व मांग सरकार से यह भी है कि प्रत्येक वर्ष राज्य के सभी स्कूलों मे बच्चों को इस बाल पर्व फूलदेई को मनाने के लिए प्रेरित किया जाय, इस परम्परा से संबन्धित लेख या कविताओं को नौनिहालों के पाठ्यक्रम मे भी शामिल किया जाय। पुष्प व फलदार पौधों का रोपण बड़े स्तर पर किए जाएं।

यदि उत्तराखंड राज्य सरकार की ओर से इस विषय पर ठोस सकारात्मक पहल होती है तो, मै भी अपने स्तर से रंगोली आंदोलन की पूरी ऊर्जा से सरकार के साथ चलकर हर सम्भव सहयोग के लिए तत्पर रहूँगा, मुझे विश्वास है कि इस सामाजिक, लोक परंपरा, संस्कृति संरक्षण के क्षेत्र में चलाई जा रही रंगोली आंदोलन की यह मुहिम राज्यपाल व मुख्यमंत्री के द्वार से चलकर अब राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री की देहरी तक भी पहुंचेगी। आने वाले वर्षों मे यह बाल उत्सव राज्य मे ही नहीं अपितु देश व दुनियाँ के कोने कोने मे रहने वाले हमारे प्रवासी जन भी अपनाने लगेंगे।

बच्चों के साथ यह मौजूद रहे

फूलदेई पर्व संरक्षण अभियान में डॉ आरके जैन, डॉ महेश कुड़ियाल, वैष्णो देवी मंदिर से आचार्य विपिन जोशी, तनुश्री डिमरी मैठाणी, आरती शर्मा, बबीता शाह लोहनी, मनस्विनी मैठाणी, यशस्विनी मैठाणी, अरुण चमोली, अंशुल गैरोला, स्वस्तिक सेवा सोसायटी से सुनीता पांडेय, सोनला वर्मा आदि शामिल रहे।

इन स्कूलों के बच्चों ने किया प्रतिभाग

फ्लावर डेल स्कूल, दून वैली पब्लिक स्कूल, जॉर्ज पब्लिक स्कूल, केंद्रीय विद्यालय वीरपुर, सेंट थॉमस, मैपल बियर, दून इंटरनेशनल स्कूल, न्यू कल्चर एकेडमी, सेंट थॉमस कालेज, ग्रीन एकेडमी, यूरो किड्ज, ग्रीन लाईट स्कूल, मेजर केआर बाली पब्लिक स्कूल व मदर किड्ज स्कूल के बच्चों ने प्रतिभाग किया।

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