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छोटी दीपावली पर होते हैं पांच पर्व, पांच देवताओं का किया जाता है पूजन

हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को नरक चतुर्दशी या छोटी दीपावली का पर्व मनाया जाता है। हर बार नरक चतुर्दशी का पर्व दीपावली से एक दिन पहले मनाया जाता है। लेकिन, इस बार पंचांग भेद होने के कारण कई स्थानों पर 3 नवंबर तो कई स्थानों पर 4 नवंबर को यानी दीपावली वाले दिन ही नरक चतुर्दशी मनाई जाएगी। क्योंकि, 3 नवंबर को चतुर्दशी तिथि का ह्रास हो रहा है। छोटी दीपावली या नरक चतुर्दशी को लेकर कई पौराणिक कथाएं जुड़ी हुई हैं, जिसके अनुसार इस दिन एक नहीं बल्कि पांच पर्व मनाएं जाते हैं और पंचदेवताओं का पूजन किया जाता है। चलिए जानते हैं कि छोटी दीपावली पर कौन से होते हैं पांच पर्व और किन पंचदेवों का पूजन किया जाता है।

नरक चतुर्दशी

छोटी दीपावली को नरक चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार जब भौमासुर राक्षक (जिसे नरकासुर भी कहा जाता है) का आतंक बहुत बढ़ गया तो भगवान कृष्ण ने देवों, ऋषि-मुनियों और मनुष्यों की रक्षा करने हेतु उसका अंत कर दिया। इसी उपलक्ष्य में कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को नरक चतुर्दशी का त्योहार मनाया जाता है, इसलिए इस दिन भगवान कृष्ण की पूजा का विधान भी है।

रूप चौदस

धार्मिक पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन तिल के तेल से मालिश करने उबटन लगाकर स्नान करने से भगवान कृष्ण सौंदर्य प्रदान करते हैं। यही कारण हैं कि इस दिन को रूप चौदस के नाम से भी जाना जाता है। रूप चतुर्दशी से संबंधित एक कथा भी प्रचलित है। मान्यता है कि प्राचीन समय पहले हिरण्यगर्भ नामक राज्य में एक योगी रहा करते थे। कठिन तपस्या के कारण उनके शरीर की दशा बहुत वीभत्स हो गई थी। इसके बाद उन्होंने नारद मुनि के वचन अनुसार कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु की पूजा अराधना की, जिससे उन्हें पुनः स्वस्थ और रुपवान शरीर की प्राप्ति हुई। इस दिन भगवान विष्णु के वामन अवतार के पूजन का भी विधान है।

काली चौदस

कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को रात्रि में मां काली की पूजा का प्रावधान भी है। बंगाल में इस दिन को काली जयंती के नाम से मनाया जाता है, इसलिए इस दिन को काली चौदस भी कहा जाता है। माना जाता है कि चतुर्दशी तिथि की रात्रि में मां काली का पूजन करने से समस्त कष्टों से मुक्ति प्राप्त होती है।

यम दीया

कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को यम के निमित्त दीपक प्रज्वलित किया जाता है। इसलिए आम बोल-चाल की भाषा में इस दिन को यम दीया के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि इस दिन यम के निमित्त दीपदान करने से अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है। यह दीपक घर के किसी बड़े बुजुर्ग के द्वारा दक्षिण दिशा में प्रज्वलित किया जाता है।

हनुमान जयंती

नरक चतुर्दशी के दिन हनुमान जी का पूजन भी किया जाता है। अजंनी पुत्र हनुमान जी संकट मोचन हैं, वे अपने भक्तों के भय और संकटों को दूर करते हैं। हनुमान जी के जन्म की तिथि को लेकर दो धार्मिक मान्यताएं हैं। एक मान्यता के अनुसार चैत्र मास की पूर्णिमा तिथि को हनुमान जयंती मनाई जाती है। वहीं, महर्षि वाल्मिकी के द्वारा लिखी गई रामायण में कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को हनुमान जी के जन्म का जिक्र मिलता है। इसलिए नरक चतुर्दशी या फिर छोटी दिवाली पर हनुमान जी के पूजन का भी विधान है।

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