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छोटी दीपावली: नरक चतुर्दशी आज, जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

-छोटी दीपावली का पर्व धनतेरस के अगले दिन मनाया जाता है। छोटी दिवाली को नरक चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है। नरक शब्द पौराणिक कथाओं में वर्णित दैत्य राजा नरकासुर से संबंधित है और चतुर्दशी का अर्थ है चौदहवां दिन। छोटी दिवाली हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। 

छोटी दीपावली का पर्व इस साल 3 नवंबर यानी आज मनाया जा रहा है, जो कि दीपावली से एक दिन पहले होता है। दिवाली इस बार 4 नवंबर को मनाई जाएगी। दुनियाभर के हिन्दु समुदाय के लोग पूजा-पाठ व धार्मिक अनुष्ठान के लिए अनुकूल समय को शुभ मुहूर्त के नाम से जानते हैं। इस बार छोटी दीपावली को पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 9:02 बजे से अगले दिन सुबह 6:03 बजे तक है।

स्नान या अभयंगा स्नान का समय सुबह 5 बजकर 40 मिनट से 6 बजकर तीन मिनट तक रहेगा। मान्यता है कि इस पवित्र स्नान से मनुष्य की आत्मा की शुद्धि होती है और मौत के बाद नरक की यातनाओं से छुटकारा मिलता है।

3 नवंबर के शुभ मुहूर्त

अमृत काल– सुबह 1 बजकर 55 मिनट से लेकर 4 नवंबर सुबह 3 बजकर 22 मिनट तक।
ब्रह्म मुहूर्त– सुबह 5 बजकर 2 मिनट से 5 बजकर 50 मिनट तक।
विजय मुहूर्त – दोपहर 1 बजकर 33 मिनट से 2 बजकर 17 मिनट तक।
गोधूलि मुहूर्त- शाम 5 बजकर 5 मिनट से 5 बजकर 29 मिनट तक।
सायाह्न संध्या मुहूर्त- शाम 5 बजकर 16 मिनट से 6 बजकर 33 मिनट तक।
निशिता मुहूर्त : रात 11 बजकर 16 मिनट से 12 बजकर 7 मिनट तक।

छोटी दीपावली पूजा विधि 

नरक चतुर्दशी के दिन यमराज, भगवान हनुमान के अलावा श्रीकृष्ण, मां काली, भगवान शिव और भगावन वामन की पूजा की जाती है। इस दिन 16 क्रियाओं से पूजा करें पाद्य, अर्घ्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, आभूषण, गंध, पुष्प, धूप, दीप, नेवैद्य, आचमन, ताम्बुल, स्तवपाठ, तर्पण और नमस्कार। इसके बाद सिंदूर, अक्षत आदि लगाकर धूप दीप जलाएं। इसके बाद भगवान को भोग लगाएं। भगवान हनुमान को भोग वाली सामग्री में तुलसी का पत्ता जरूर रखें। उसके बाद आरती करें।

छोटी दीपावली इतिहास और महत्व 

हिन्दी मान्यताओं के अनुसार, नरकासुर ने वैदिक देवी अतिथि के सम्राज को हड़प लिया था। उसने बहुत सी महिलाओं को प्रताड़ित भी किया था। नरकासुर के खिलाफ भगवान कृष्ण और सत्यभागा में संघर्ष किया और युद्ध में मार गिराया। वहीं, नॉर्थ ईस्ट इलाके लोगों का मानना है कि नरकासुर का वध काली देवी ने किया था। यही कारण है कि छोटी दिवाली (Chhoti deepawali) के दिन काली मां की पूजा भी की जाती है। कुछ स्थानों पर छोटी दिवाली के मौके पर नरकासुर का पुतला दहन किया जात है। यह देश के विभिन्न इलाकों में मनाया जाता है।

नरक चतुर्दशी के दिन करें ये 2 काम

नरक चतुर्दशी का पहला कार्य है तेल मालिश करके स्नान करना। इस दिन स्नान से पहले पूरे शरीर पर तेल मालिश करनी चाहिए और उसके कुछ देर बाद स्नान करना चाहिए। माना जाता है कि चतुर्दशी को लक्ष्मी जी तेल में और गंगा सभी जलों में निवास करती हैं, लिहाजा इस दिन तेल मालिश करके जल से स्नान करने पर मां लक्ष्मी के साथ गंगा मैय्या का भी आशीर्वाद मिलता है और व्यक्ति को जीवन में तरक्की मिलती है। कुछ जगहों पर तेल स्नान से पहले उबटन लगाने की भी परंपरा है।

नरक चतुर्दशी के दिन जड़ समेत मिट्टी से निकली हुयी अपामार्ग की टहनियों को सिर पर घुमाने की भी परंपरा है। शास्त्रों के अनुसार कुछ ग्रन्थों में अपामार्ग के साथ लौकी के टुकड़े को भी सिर पर घुमाने की परंपरा का जिक्र किया गया है। कहते हैं ऐसा करने से स्वास्थ्य अच्छा रहता है और व्यक्ति को नरक का भय नहीं रहता। दरअसल आज नरक चतुर्दशी को जो भी कार्य किये जाते हैं, वो कहीं न कहीं इसी बात से जुड़े हुए हैं कि व्यक्ति को नरक का भय न रहे और वह अपना जीवन खुशहाल तरीके से, बिना किसी भय के जी सके । लिहाजा अपने भय पर काबू पाने के लिये आज ऐसा भी करना चाहिए।

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