Sat. Nov 23rd, 2024

कला और कलाकार.. दयाल सिंह सोलंकी जी और हस्तलिखित दस्तावेज़!

दर्द-ए-दिल
———————————-

बड़ासी और कालीमाटी (देहरादून) कलाकारों की भूमि है। यहां घर-घर में कलाकार हैं। बड़ासी निवासी दयाल सिंह सोलंकी जी का हस्तलेख यदि आप देखेंगे तो देखते ही रह जाएंगे। ये हस्तलिखित दस्तावेज आने वाली पीढ़ी के लिए पथ-प्रदर्शक का कार्य करते हुए समाज को नैतिक शिक्षा और मनोरंजन का माध्यम बनेंगे।

दयाल सिंह सोलंकी

स्व. मास्टर अमीचंद भारती जी की शागिर्दी में जो कलाकार आज आगे बढ़े, उनमें उपदेश चंद भारती जी, गणेश चंद भारती जी, पूरण जी, चरण जी, दिनेश जी के साथ ही साथ मास्टर दयाल सिंह सोलंकी जी एक उम्दा कलाकार हैं।

दयाल सिंह सोलंकी जी 11 वर्ष की उम्र से ही नाटक और रामलीला में प्रतिभाग करने लग गए थे। आपने वीर अभिमन्यु, अमर सिंह राठौर, जनक प्रतिज्ञा, हरिश्चंद्र नाटकों में महिला किरदार की भूमिका निभाई।

रामलीला में आपने कैकेई, मेघनाद, तारा और सुलोचना का किरदार निभाया। आपने रायपुर, रानीपोखरी, भोगपुर, बालावाला, शिवाजी धर्मशाला, राजपुर, रामनगर (नैनीताल), कनखल (हरिद्वार) व बड़ासी की रामलीला में अधिकांशत: महिला किरदार की भूमिका निभाई है।

रामलीला के पात्रों के डायलॉग को आपने हस्तलिखित डायरियों के माध्यम से कलाकारों को उपलब्ध कराया है। आपकी हस्तलिखित डायरियों को देखकर मन प्रसन्न हो जाता है। आपकी कलम जब कागज पर चलती है तो कागज भी सोलह सिंगार किए हुए नजर आता है। आपकी कलम को नमन, आपके धैर्य को प्रणाम। समाज हित में किए जा रहे आपके नि:स्वार्थ “रामकाज” के लिए सैल्यूट।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *