काव्य साहित्य वरिष्ठ कवि जीके पिपिल की दल बदल पर कुछ पंक्तियां…टकसाली सिक्के भी आजकल खोटे हो गये January 12, 2022 admin जीके पिपिल देहरादून, उत्तराखंड ———————————————— दर्पण टकसाली सिक्के भी आजकल खोटे हो गये चेहरे भी अब चहरे न रहकर मुखौटे हो गये पहले नेता रहते थे जीवनपर्यन्त एक दल में आजकल के नेता भी बेपेंदी के लोटे हो गये।। Tags: कवि/शाइर जीके पिपिल, काव्य, साहित्य Continue Reading Previous कवि पागल फकीरा की ग़ज़ल … नासूर पर तो मरहम भी बेअसर से निकले …Next हरिद्वार धर्म संसद प्रकरण: एसआईटी ने दर्ज किए गवाहों के बयान More Stories national उत्तराखण्ड साहित्य तारा पाठक की प्रेरणादायक कहानी… किसान का बेटा November 7, 2024 admin national News Update उत्तराखण्ड देहरादून साहित्य स्पर्श हिमालय महोत्सव 2024 : देहरादून में ‘‘लेखक गाँव’’ का राज्यपाल, पूर्व राष्ट्रपति और मुख्यमंत्री ने किया लोकार्पण October 25, 2024 admin साहित्य तारा पाठक की बाल कहानी … गंध दिवाली की October 24, 2024 admin Leave a Reply Cancel replyYour email address will not be published. Required fields are marked *Comment * Name * Email * Website Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. Δ