काव्य साहित्य वरिष्ठ कवि जीके पिपिल की दल बदल पर कुछ पंक्तियां…टकसाली सिक्के भी आजकल खोटे हो गये January 12, 2022 admin जीके पिपिल देहरादून, उत्तराखंड ———————————————— दर्पण टकसाली सिक्के भी आजकल खोटे हो गये चेहरे भी अब चहरे न रहकर मुखौटे हो गये पहले नेता रहते थे जीवनपर्यन्त एक दल में आजकल के नेता भी बेपेंदी के लोटे हो गये।। Tags: कवि/शाइर जीके पिपिल, काव्य, साहित्य Continue Reading Previous कवि पागल फकीरा की ग़ज़ल … नासूर पर तो मरहम भी बेअसर से निकले …Next हरिद्वार धर्म संसद प्रकरण: एसआईटी ने दर्ज किए गवाहों के बयान More Stories national उत्तराखण्ड साहित्य रजनीश त्रिवेदी आलोक को मिला जबलपुर में “क्रांतिवीर पं विद्यासागर शर्मा सम्मान” November 26, 2025 Shabdradh national साहित्य जयपुर में मुंशी प्रेमचंद सम्मान से भावनगर के प्रफुल्ल पंड्या ‘पागल फ़क़ीरा’ सम्मानित November 17, 2025 Shabdradh national उत्तराखण्ड देहरादून साहित्य परवाज-ए-अमन ने साहित्यकार वीरेन्द्र डंगवाल “पार्थ” को किया सम्मानित November 14, 2025 Shabdradh Leave a Reply Cancel replyYour email address will not be published. Required fields are marked *Comment * Name * Email * Website Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.