काव्य साहित्य कवि/शाईर जीके पिपिल का एक मुक्तक April 12, 2024 admin जीके पिपिल देहरादून, उत्तराखंड ————————————————————– हमें मोहब्बत की नदी में इस पार से उस पार होना चाहिए था भले ही हमें नाव पुरानी मिलती उसमें सवार होना चाहिए था अब नदिया के किनारे से मौजों को ताकने से क्या हांसिल है हमें नदी में उतरना चाहिए था मौजों से प्यार होना चाहिए था। Tags: कवि/शाइर जीके पिपिल, काव्य, मुक्तक, साहित्य Continue Reading Previous तारा पाठक की एक रचना, नवरात्रि एवम नव संवत्सरNext तारा पाठक की कहानी … देशी ब्वारी_पहाड़ी ब्वारी More Stories काव्य साहित्य विश्व पृथ्वी दिवस पर कवि सुभाष चंद्र वर्मा की एक रचना April 22, 2024 admin साहित्य तारा पाठक की कहानी … देशी ब्वारी_पहाड़ी ब्वारी April 18, 2024 admin उत्तराखण्ड काव्य तारा पाठक की एक रचना, नवरात्रि एवम नव संवत्सर April 9, 2024 admin Leave a Reply Cancel replyYour email address will not be published. Required fields are marked *Comment * Name * Email * Website Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. Δ