सामाजिक सरोकारों को समर्पित व्यक्तित्व.. साठ साल बाद भी तुम्हारी भरपाई नहीं हुई सतीश भाई!
जगदीश ग्रामीण ‘दर्द-ए-दिल’
रामनगर डांडा, थानों, देहरादून
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रानीपोखरी न्याय पंचायत की सारंगधर वाला ग्राम पंचायत के अंतर्गत तेलपुर (निकट भोगपुर) में चंद्रमोहन तिवारी के घर जन्मे सत्य प्रकाश तिवारी (सतीश भाई के नाम से विख्यात) का नाम आज हर जुबां पर सुख-दुःख के समय आ ही जाता है। “सारंग ऋषि” के नाम से जाना जाने वाला “सारंगधर वाला” क्षेत्र सतीश भाई की विकासवादी सोच को आज भी सलाम करता है। अपने साथियों के साथ मिलकर उस समय भोगपुर में खुलवाई गई “को-ऑपरेटिव सोसाइटी” आज क्षेत्र के किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है। पारिवारिक जिम्मेदारियों के निर्वहन के लिए आपने उसी “को-ऑपरेटिव सोसाइटी” में अंतिम समय में 6 माह तक सेवा भी की, जिसकी स्थापना आपने ही करवाई थी। यह आपकी सादगी, ईमानदारी और बड़प्पन का प्रमाण है।
सतीश भाई बाल्यकाल से ही कुशाग्र बुद्धि के साथ-साथ नई सोच के व्यक्ति थे। मिलनसार थे, सबके सुख-दुःख में शामिल होने वाले व्यक्ति थे। होश संभालने से लेकर इस दुनिया से विदाई के अंतिम दिनों तक वे समाज के लिए ही समर्पित रहे। उस समय भोगपुर में आयोजित होने वाली “रामलीला” के वे सर्वेसर्वा होते थे। तन, मन, धन से रात दिन रामलीला के अच्छे प्रबंधन की जिम्मेदारी निभाने के साथ ही वह एक अच्छे लोक कलाकार भी थे। वे स्वयं रावण सहित कई पात्रों का किरदार निभाते थे। उनके मार्गदर्शन में विजय तिवारी भी रावण का रोल अदा करते थे। सतीश भाई की प्रेरणा से उनके मित्र सदर सिंह रावत जी ने उस समय भोगपुर में अंग्रेजी माध्यम का विद्यालय भी खोला। वे उस समय क्षेत्र के जनसंघी विश्वेश्वर दत्त रतूड़ी की शागिर्दी में रहे।
आपका विवाह सकलाना पट्टी के पुजारगांव निवासी सूर्यमणि सकलानी जी की सुपुत्री शांति देवी के साथ हुआ। सदर सिंह रावत, नरेंद्र सिंह चौहान, शम्भू प्रसाद कंडवाल आपके घनिष्ठ मित्र थे। आप सामाजिक, धार्मिक कार्यों को अनवरत करते हुए 40 साल की अल्पायु में ही स्वर्ग सिधार गए। समाज और परिवार के सदस्यों को आपने जो सीख और संस्कार दिए,उसका परिणाम आज दिखाई देता है।
ऐसे समाजसेवी को नमन, वंदन, अभिनन्दन।