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देहरादून से कविता बिष्ट की वसंत पर मनभावन रचना..बहार बनकर आया बसन्त

कविता बिष्ट
देहरादून, उत्तराखंड
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माँ की महिमा है बड़ी, फागुन बनी बहार।
पीताम्बर से सज गया, सरसों का दरबार।।
सरसों का दरबार, आम्रमंजरी की बौर।
हरे-भरे पेड़ हैं, नवगीत सृजन का दौर।।
गीतों की मधुरता,लेखनी को निखार माँ।
बसन्त के विहान में, सुर मेरा संवार माँ।।

ऋतुराज आया
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आँगन के हरे-भरे बाग में,
बहार बनकर आया बसन्त
श्रृंगार किये हुए है हर दिशा
अतिसुन्दर मन भाया बसन्त

कलियों संग फूलों की भीनी
खुशबू से महका है बसंत
धरा को सुशोभित कर अनेक
रंगों से चहुँ ओर छाया बसन्त

मन में उमंग धानी चुनर को
ओढ़ खूब इठलाया बसन्त
पीली सरसों के बागों से भरे
प्रेम रंग में रंगकर आया बसन्त

रंग-बिरंगी तितली, इंद्रधनुषी
रंग में नहाकर नवसृजन लिए
खुशियाँ बिखेरे,गीत-प्रीत अगन
सखियों संग मैंने गाया बसन्त

सुर-ताल का मधुर संगीत
से सुझनकृत हुआ बसन्त
फ़ागुन की सुखद बयार लिए
नए मौसम को लाया बसन्त
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सर्वाधिकार सुरक्षित।
प्रकाशित…..21/02/2021
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