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वरिष्ठ कवि जीके पिपिल की गज़ल … प्यास है तो पानी के और भी ज़रिए तलाश कर

जीके पिपिल
देहरादून।

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गज़ल

प्यास है तो पानी के और भी ज़रिए तलाश कर
बस बादलों के भरोसे बैठकर ही मत आस कर।

लाज़मी नहीं कि हर रात को माहताब हो नसीब
कभी तो अंधेरों के लिऐ जुगनू का भी पास कर।

सिर्फ़ अमीरे शहर ही नहीं और भी चाहते है तुझे
उनमें से हम भी एक हैं कभी तो ये एहसास कर।

तोड़ना ही है तो एक बार में ही चकनाचूर कर दे
बेरूखी से मेरे दिल पर मत बार बार खराश कर।

दिल पर कोई बार बार प्यार की दस्तक दे रहा है
तू दरवाज़ा तो खोल आहटों का तो आभास कर।

प्यार का अक्स सदा तेरी आंख में दिखाई देता है
तू अपने बदन पर अब चाहे कुछ भी लिबास कर।।

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