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सुलोचना परमार उत्तरांचली की मां दुर्गा को समर्पित एक रचना

सुलोचना परमार उत्तरांचली

देहरादून, उत्तराखंड

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नव रात्रि

नव रात्रि हैं शुरू हो गए
आजा शेरा वालिए।
मंदिर मंदिर धूम मची है
आजा जोतां वालिए।

भक्त खड़े दरबार में तेरे
लगा रहे जयकारे हैं।
आजा माता रानी अब तो
भक्त तुझे ही पुकारे हैं।

शैल पुत्री,ब्रह्म चारिणी तू
चंद्र घंटा, कुष्मांडा है।
स्कंद माता,कात्यायनी
तू काल रात्रि महा गौरी है।

नवम रूप सिद्ध दात्री तेरा
सबके मन हर्षाए है।
सभी रूप तेरे कन्याओं में
इस धरती पर पाए हैं।

वक्त आगया मेरी मईया
अब तू काली रूप दिखा।
इस धरती के कलंक बने जो
उनको भी सन्मार्ग दिखा।

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