काव्य साहित्य वरिष्ठ कवि जीके पिपिल की दल बदल पर कुछ पंक्तियां…टकसाली सिक्के भी आजकल खोटे हो गये January 12, 2022 admin जीके पिपिल देहरादून, उत्तराखंड ———————————————— दर्पण टकसाली सिक्के भी आजकल खोटे हो गये चेहरे भी…
साहित्य ग़ज़ल कवि/शाइर जीके पिपिल की एक ग़ज़ल… महबूबा अपनी सलामत रहे उम्र दराज़ हो जाये.. October 29, 2021 admin जीके पिपिल देहरादून, उत्तराखंड ———————————————————- गज़ल हर लफ़्ज़ इश्क़ में डूबा हुआ अल्फ़ाज़ हो जाये…