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फिर गले में ही दब गई मासूम चीखें

..और फिर गले में ही दब गई मासूम चीखें

गाजियाबाद : मसूरी के न्यू शताब्दीपुरम में शुक्रवार तड़के तीन बेटियों और पत्नी की हत्या के दौरान कमरे से बार-बार चीखें निकल रहीं थीं, लेकिन कुछ ही देर में ये चीखें बंद हो गई। कमरे के बाहर बुजुर्ग पिता फेरू, मां शीला और उनकी बेटी रीना हताश और बेसहारा खड़ी रहीं। सुबह साढ़े चार बजे जब रीना उठीं तो भाई प्रदीप को बाहर सोफे पर बैठा देखा था। लड़ाई-झगड़े के कारण करीब एक साल से वह पत्नी से अलग बाहर सोफे पर ही सोता था। रीना के पूछने पर वह कुछ नहीं बोला। टॉयलेट से लौटीं तो प्रदीप ने पत्नी से कमरे का गेट खुलवाया और अंदर चला गया। बोलता रहा, बात कर रहा हूं

कुछ देर बाद ही कमरे से बच्चों के रोने और चीखने की आवाज आने लगीं। रीना कमरे तक आई और पास के कमरे में सो रहे फेरू व शीला भी जाग गए। वे गेट खोलने को बार-बार चिल्ला रहे थे, लेकिन प्रदीप बार-बार कह रहा था कि मैं बात कर रहा हूं, अभी खोलूंगा। दरवाजा तो नहीं खुला, लेकिन धीरे-धीरें मासूम चीखें गले में दबती चली गईं।

पिता की कोहनी हुईं चोटिल

करीब 80 वर्षीय फेरू की पांच संतानों में प्रदीप इकलौता बेटा था। पांच मिनट तक गेट नहीं खुला तो रीना ने दौड़कर पड़ोसी देवेंद्र का गेट खटखटाया। इस दौरान असहाय फेरू हाथ और कोहनी से गेट पीटते रहे। गेट तोड़ने की कोशिश में उनकी कोहनी भी चोटिल हो गईं। देवेंद्र आए तो उन्होंने भी गेट तोड़ने की कोशिश की। गेट नहीं टूटा तो उन्होंने कुर्सी लगा वेंटिलेशन विडो से कमरे में झांककर देखा। अंदर का दृश्य देखकर हड़कंप मच गया और फिर उन्होंने पुलिस को सूचना दी। नशा मुक्ति केंद्र से लाया गया काला टेप बना बच्चों के लिए काल

प्रदीप ने इस जघन्य हत्याकांड को करीब 30 मिनट में अंजाम दिया। पांच बजे के बाद वह कमरे में घुसा। पत्नी को उसने दरवाजा खुलवाने के लिए जगाया था, जबकि तीनों बेटी सो रही थीं। कयास लगाए जा रहा है कि सबसे पहले उसने संगीता के सिर पर हथौड़े से वार किया। परिजनों का कहना है कि उन्होंने बेटियों के रोने की ही आवाज सुनी। प्रदीप ने इस तरह सुनियोजित तरीके से वार किया कि उसकी चीख भी नहीं निकली। पत्नी को मरा समझकर उसने बेटियों को जहर दिया। इसके बाद उसने कमरे में रखा चार इंची काले रंग का टेप बच्चों के मुंह पर लपेटना शुरू किया। इसी दौरान बच्चों ने रोना शुरू किया। प्रदीप ने जो टेप बच्चों और अपने मुंह पर लपेटा, उसे संगीता नशा मुक्ति केंद्र से लेकर आई थी। केंद्र के गंभीर मरीजों के इलाज के समय इस टेप का इस्तेमाल मरीजों के हाथ बांधने के लिए होता है। संगीता किसी काम से टेप लाई होगी, लेकिन उन्होंने यह बिल्कुल नहीं सोचा होगा कि यह टेप उनके बच्चों की मौत का कारण बनेगा।

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