Wed. Dec 17th, 2025

महिला दिवस पर विशेष… कवि सुरेश स्नेही की एक रचना.. है नमन तुम्हारा इस धरा पर

सुरेश स्नेही
सुपाणा, चौरास, टिहरी गढ़वाल
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‘नारी’
(अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष)
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तुम ही तो मां हो, तुम ही बहन,
तुम जग जननी हो सारी,
है नमन तुम्हारा इस धरा पर,
तुम ही तो हो इस जग की नारी।

अन गनत हैं श्रृगांर तुम्हारे,
अन गनत स्वरूप हैं धरे तुमने,
हर रूप की है महिमा निराली,
जग उजियारे किये है तुमने।

कांधे से कांधा मिलाकर,
चलना सीख लिया है तुमने,
सोच समझ वह व्यथा पुरानी,
अब ना आये वापस तुममें।

बदल गया है समय पुराना,
बदली सोच समझ है सबकी,
नारी को अब मिली समानता,
रही नहीं ओ नारी कल की।

माता बन के करे दुलार,
बहना बनके सबकों प्यार,
पत्नी बन कर साथ निभाये,
देवी बनकर करे संहार।

बने ना कोई अब अनजान,
नारी शक्ति है सबसे महान,
नारी के है रूप अनेक,
नारी का सब करो सम्मान।

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